भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत दो दिन पहले कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू गए थे। वहां पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन पर हमला कर दिया गया। राकेश टिकैत का कहना है कि “हमलावरों के इरादे जानलेवा था। उनका टारगेट मैं था। वे मुझे मारने आए थे। राम-नाम सत्य ही होता है फिर, वे बहुत तेजी से आए और माइक उठाकर हम पर हमला कर दिए, अगर एक्टिव न होते तो मार डालते, हालांकि हाथ लगा देने से बच गए।”

उन्होंने बताया कि, “हमलावरों ने मारने के इरादे से आए थे, इसीलिए उनके हाथ में केमिकल और पेंट था। उसको हमारे चेहरे पर फेंका था। उसको चेहरे से उतारने में ढाई घंटे से ज्यादा का समय लगा तथा एक लीटर पेट्रोल और थिनर से वह उतर सका। तथा कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री के साथ उनकी तस्वीरें थीं। वे पीएम का भी नाम ले रहे थे।”

उन्होंने कहा कि हमलावर कन्नड़ बोलते थे और हम लोग हिंदी बोलते हैं। न वे हमारी भाषा जानते थे और न ही हम उनकी भाषा जानते थे। वे हमला क्यों किए यह तो पुलिस की जांच में पता चलेगा। पुलिस देेखेगी कि वे कौन लोग हैं और क्यों हमला किए हैं।

राकेश टिकैत ने कहा कि संगठन में मतभेद होना सामान्य बात है। यह तो होता रहता है। जिसको रहना है वह रहेगा, जिसको नहीं रहना है वह नहीं रहेगा। हमारा आंदोलन चलता रहेगा। हम पीछे नहीं हटेंगे। कहा कि पूरे देश में खाप और किसान आंदोलन चल रहा है। हर जगह जाएंगे। जरूरत पड़ी तो विदेश भी जाएंगे।

राकेश टिकैत ने कहा कि उनको किसी से परहेज नहीं है। वे मुद्दों के आधार पर सबसे बात करना चाहते हैं। यूपी के मुख्यमंत्री को कुछ मांगे भेजे हैं। और उनसे आग्रह है कि वे उसे पूरा करवा दें।

घटना के बाद राकेश टिकैत ने ट्विटर पर लिखा कि ‘ये काली स्याही व जानलेवा हमला इस देश के किसान, मजदूर, दलितों, शोषितों, पिछड़ो, शूद्रों, आदिवासी की आवाज को नहीं दबा सकता। यह लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी।’ हालांकि पिछले साल तीन कृषि कानूनों को लेकर चले किसान आंदोलन के बाद राकेश टिकैत देशभर में इसके प्रति किसानों को जागरूक कर रहे हैं।