BJP on Kashi Verdict: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार (12 सितंबर) को वाराणसी जिले की अदालत के फैसले का स्वागत किया। इस फैसले के बाद उन्होंने संकेत दिया कि इस क्रम में अगला नंबर मथुरा का हो सकता है। इसे बनाए रखने के लिए दिल्ली में पार्टी के नेताओं ने मौन अध्ययन जारी है। ऐसा लगता है कि संघ के कट्टरपंथी विंग माने जाने वाले विश्व हिन्दू परिषद को संघ ने इस मामले पर बोलने के लिए छूट दे रखी हो जबकि संघ स्वयं इस मुद्दे पर मुखर हो कर नहीं बोल रहा है।
काशी के ज्ञानवापी मामले पर फैसला आने के तुरंत बाद, केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया जिसे एक बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा था,“करवट लेती मथुरा, काशी! (वाराणसी और मथुरा हलचल कर रहे हैं)।” यह भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मौर्य द्वारा अदालत के फैसले का स्वागत करने के कुछ मिनट बाद आया। उन्होंने ट्वीट किया, “सत्यम शिवम सुंदरम…. मैं बाबा विश्वनाथ जी मां श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं, इस फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए।”
2 जून को नागपुर में ज्ञानवापी को लेकर बोले थे संघ प्रमुख
आरएसएस चीफ मोहन भागवत 2 जून को नागपुर में कहा, “ज्ञानवापी का एक इतिहास है। जिसे हम बदल नहीं सकते। आज के हिंदू और मुसलमानों ने इसे नहीं बनाया है। हर मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना? झगड़ा क्यों बढ़ाना। वो भी एक पूजा है, जिसे उन्होंने अपनाया है। वो यहीं के मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसी एक पूजा और एक भाषा को नहीं मानता, क्योंकि हम समान पूर्वज के वंशज हैं।”
हम ऐसे मुद्दों को मिलजुलकर सुलझाएंगेः मोहन भागवत
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ये भी कहा था, “ये उस समय घटा। जब आक्रमणकारियों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचता है। लेकिन उसे लगता है कि इनका पुनुरुद्धार होना चाहिए। हमने 9 नवंबर को ही कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे। लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। ऐसा कुछ है तो आपस में मिल-जुलकर मुद्दा सुलझाएं।” उन्होंने आगे कहा था, “हमें सबको जोड़ना है। संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है जीतने के लिए नहीं। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं, बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। उन्होंने आगे कहा कि आपस में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। आपस में प्रेम चाहिए, विविधता को अलगाव की तरह नहीं देखना चाहिए। एक-दूसरे के दुख में शामिल होना चाहिए। विविधता एकत्व की साज-सज्जा है, अलगाव नहीं है।”
बृजेश पाठक ने कहा यूपी सरकार फैसले का स्वागत करती है
वाराणसी की अदालत के फैसले के बाद, यूपी के एक अन्य डिप्टी सीएम, ब्रजेश पाठक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “उत्तर प्रदेश सरकार अदालत के आदेश का स्वागत और सम्मान करती है। हम सतर्क हैं। हम यूपी में कानून का राज कायम रखेंगे; किसी को भी कानून तोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी।” पार्टी के यूपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सभी पक्षों से धैर्य रखने का आह्वान करते हुए कहा, “(कानून) मुकदमे की स्थिरता से संबंधित प्रश्न का निपटारा कर दिया गया है और अब श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति मांगने वाले आवेदन पर सुनवाई संभव होगी। दोनों पक्षों को धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। उन्हें अपने सभी तथ्य, तर्क और सबूत कोर्ट के सामने पेश करने चाहिए।