हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना बीजेपी के सोशल मीडिया इंचार्ज को गिरफ्तार कर लिया है। बीजेपी सोशल मीडिया इंचार्ज पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को ‘बदनाम करने वाले पोस्टर लगवाने’ का आरोप लगाया गया है। हैदराबाद पुलिस ने सोमवार रात तेलंगाना बीजेपी के सोशल मीडिया इंचार्ज सुमिरन कोम्माराजू को हिरासत में लिया। पोस्टर में कथित तौर पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बदनाम किया गया था। कोम्माराजू ने एक पोस्टर डिज़ाइन किया था जिसमें रेवंत रेड्डी एक कुर्सी पर बैठे हुए दिख रहे थे, जिसके कई रोबोटिक हाथ बाहर निकले हुए थे। हर हाथ में कागज़ के टुकड़े थे जिन पर भ्रष्टाचार और दूसरे आरोप लिखे थे।
पोस्टर पर क्या था?
उदाहरण के लिए, कागज़ के एक टुकड़े पर लिखा था, “भाई रियल एस्टेट को कंट्रोल कर रहे हैं”, जो मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके भाई द्वारा कीमती ज़मीन खरीदने के आरोप से जुड़ा है। ये पोस्टर हैदराबाद में तेलंगाना कांग्रेस के हेडक्वार्टर गांधी भवन के बाहर चिपकाए गए थे।
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कोम्माराजू के साथ दो और लोगों (सोशल मीडिया टीम के सदस्य साई किरण गौड़ और अजय) को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। संपर्क करने पर हैदराबाद पुलिस ने कहा कि FIR दर्ज कर ली गई है, लेकिन यह नहीं बताया कि आरोपियों पर क्या आरोप लगाए जा रहे हैं। बीजेपी की राज्य और सेंट्रल यूनिट ने इस कदम को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की है। बीजेपी ने कहा कि यह बदले की भावना और इमरजेंसी वाली सोच जैसी कार्रवाई है।
इस मुखौटे के पीछे वही पुरानी कांग्रेसी इमरजेंसी वाली सोच- बीजेपी
बीजेपी तेलंगाना अध्यक्ष एन रामचंदर राव ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यह गिरफ्तारी गैर-लोकतांत्रिक और बर्दाश्त न करने लायक नहीं है। वे (कांग्रेस) मोदी के चाय बेचने वाले पोस्टर बना सकते हैं, लेकिन रेवंत रेड्डी की बुराई करने वाला पोस्टर बर्दाश्त नहीं कर सकते।” इससे पहले राव ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, “क्या यह तथाकथित मोहब्बत की दुकान है? इस मुखौटे के पीछे वही पुरानी कांग्रेसी इमरजेंसी वाली सोच है। तेलंगाना के लोग इस तानाशाही के आगे नहीं झुकेंगे। यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं है, यह बोलने की आज़ादी पर सीधा हमला है। तेलंगाना में असहमति को कुचलने और BJP की आवाज़ को चुप कराने की एक बेशर्म कोशिश है।”
वहीं बीजेपी के नेशनल X हैंडल ने पोस्टर शेयर किया, और कहा, “उन्होंने उन्हें इस पोस्टर के लिए गिरफ्तार किया। इमरजेंसी वाली सोच भारत में अभी भी ज़िंदा है।”
