गुजरात विधानसभा चुनाव ने विकास का ऐसा नया खांका खींचा है जिस पर ध्यान दिए बगैर उत्तर प्रदेश में भाजपा की चुनावी नैया का पार उतरना बेहद मुश्किल है। बीते पंद्रह सालों में प्रदेश में शहर की सरहद समाप्त होते ही वापस लौट आने वाले विकास को अब शहर की सरहद पार कर गांव का रुख करना होगा। वजह साफ है, गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश ऐसा दूसरा राज्य है जिसने लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनाव में विकास को तीन इंजन की रफ्तार देकर अपने दिन बहुरने की आस बांधी है। इस आस को पूरा करना और अपने घोषणा पत्र को पूरी तरह लागू करना मौजूदा समय में भाजपा की सरकार के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी आलाकमान ने प्रदेश के प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र की दशा पर एक गोपनीय रिपोर्ट अपने कार्यकर्ताओं से मांगी है।
उस रिपोट का बड़ा हिस्सा अभी आना बांकी है। लेकिन अब तक कार्यकर्ताओं ने मोदी व योगी सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें बुंदेलखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, रुहेलखंड और मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों की खस्ताहाल स्थिति का ब्योरा है। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि इन इलाकों में बीते साढ़े तीन सालों में विकास के नाम पर कोई ऐसा गुणात्मक कार्य नहीं किया गया है जिसका लाभ उस इलाके में रहने वाले हर व्यक्ति तक पहुंच सके। साथ ही इस बात का भी जिक्र किया गया है कि यदि समय रहते उत्तर प्रदेश के खस्ताहाल गांवों तक विकास नहीं पहुंचाया जा सका तो दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 2014 की पुनरावृत्ति कर पाना बेहद कठिन होगा।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने विकास की शक्ल में पेश आ रही दिक्कतों की बाबत सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, यदि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने अपनी 80 में से 73 सीटें भाजपा को न दी होतीं तो क्या केंद्र में वह सरकार बना पाने की हालत में होती। वे कहते हैं, उत्तर प्रदेश से 73 सांसद जीतने के बाद भी बीते साढ़े तीन सालों में केंद्र सरकार ने विकास के नाम पर क्या किया? इसका पूरा हिसाब अगले लोकसभा चुनाव में देना होगा। हिसाब इस बात का भी देना होगा कि प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के नौ महीनों के भीतर सिर्फ पिछली सरकार में किए गए कामों की जांच करवाने के अलावा अब तक योगी आदित्यनाथ की सरकार ने क्या किया? न ही गावों तक सड़कें ही पहुंचीं और न ही हर झोपड़ी में उजियारा ही हुआ।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभय अवस्थी कहते हैं, उत्तर प्रदेश ने जिस उम्मीद से भाजपा को पूर्र्ण समर्थन दिया था, उसका भ्रम अब टूट रहा है। साढ़े तीन साल केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार को बने हो गया। वहीं भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन इस बात को स्वीकार करते हैं कि प्रदेश में उनके समक्ष चुनौतियां अधिक हैं। वे कहते हैं प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी चुनौती अपने संकल्प पत्र को पूरी तरह लागू करना है। बिना घर-घर बिजली पहुंचाए समस्याएं आएंगी।
वे इस बात को भी स्वीकारते हैं कि योगी सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है।