भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्‍तों में एक बार फिर से तल्‍खी देखने को मिल रही है। शिवसेना ने अपने 50वें सालाना उत्‍सव में भाजपा को बुलावा नहीं भेजा है। इस बारे में शिवसेना के प्रवक्‍ता मनीषा कायांडे ने बताया, ”हमने भाजपा को न्‍योता नहीं दिया है क्‍योंकि यह हमारी पार्टी का अंदरूनी जश्‍न है। यह जश्‍न पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए आयोजित किया जा रहा है। हाल ही में भाजपा ने नेशनल एग्‍जीक्‍यूटिव मीटिंग की थी, इसमें किसी साथी दल को नहीं बुलाया गया। इसी प्रकार से प्रत्‍येक पार्टी का अपना जश्‍न और बैठक होती है।”

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जब उनसे पूछा गया कि क्‍या यह आने वाले मुंबई नगर निगम में शिवसेना के अकेले चुनाव लड़ने का संकेत है तो उन्‍होंने कहा, ”बृहन्‍मुंबई नगर निगम चुनाव में हमारा मिशन 100 प्रतिशत सेना है। प्रत्‍येक पार्टी चुनाव जीतना चाहती है। राज्‍य में सेना हमेशा से सेना का नियंत्रण रहा है और उसे कभी आगे बढ़ने के लिए किसी के सहारे की जरूरत नहीं रही। भाजपा के साथ ऐसा मामला नहीं है।” वहीं, भाजपा प्रवक्‍ता माधव भंडारी ने कहा, ”यह उनका अंदरूनी कार्यक्रम है। इसलिए उनका विकल्‍प है किसे बुलाएं या ना बुलाएं। हम उन्‍हें गुड लक कहते हैं।” हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर दोनों सहयोगी दलों को घेर लिया है। विपक्ष का कहना है कि दोनों की अंदरूनी तनातनी से आने वाले बीएमसी चुनावों में उन्‍हें ही नुकसान होगा।

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एनसीपी विधायक किरण पावस्‍कर ने कहा, ”भाजपा और सेना दोनों जानती है कि उनके बीएमसी में सत्‍ता में रहने की उम्‍मीद नगण्‍य है। इनके कार्यकाल में वहां जमकर भ्रष्‍टाचार हुआ है। दोनों के झगड़े से विपक्ष को फायदा होगा।” कांग्रेस प्रवक्‍ता अल नसीर जकारिया ने कहा, ”सरकार बनने के समय से दोनों पार्टियां एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगी है। गठबंधन सामूहिक भावना से चलता है। राज्‍य की जनता को उनमें भरोसा होना चाहिए। हालांकि यदि सेना विपक्ष में बैठना चाहे तो उसका स्‍वागत है।” शिवसेना 19 जून को गोरेगांव ईस्‍ट ग्राउंड में बड़ा कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसमें बालासाहेब ठाकरे और उनके परिवार के योगदान को दिखाया जाएगा।

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