दक्षिणपंथी नेता और शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के मुखिया संभाजी भिड़े के खिलाफ दंगा करने के तीन मुकदमे हटा लिए गए हैं। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) में मिले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के जवाब से हुआ है। तीनों मामले उनके खिलाफ साल 2008 में दर्ज किए गए थे। वह और उनके समर्थक उस दौरान बॉलीवुड फिल्म जोधा अकबर की स्क्रीनिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

बजट सत्र के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में बताया कि भीमा कोरेगांव हिंसा में संभाजी के शामिल होने से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है। आपको बता दें कि पुणे शहर की पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भिड़े को आरोपी माना गया था। साल 2008 में सांगली पुलिस ने संभाजी और उनके समर्थकों के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज किए थे, जो स्थानीय सिनेमा हॉल के बाहर जोधा अकबर फिल्म की स्क्रीनिंग का विरोध कर रहे थे। पहला मामला (क्राइम रिकॉर्ड संख्या 32/08) उन लोगों पर सिनेमा हॉल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और फिल्म के पोस्टर फाड़ने के आरोप पर दर्ज किया गया था।

वहीं, संभाजी और उनके समर्थकों के खिलाफ दूसरा मामला (क्राइम रिकॉर्ड 35/08) एक सरकारी नौकरी को डरा-धमका कर उसका काम न करने, पुलिस पर पथराव करने और निजी वाहनों में तोड़फोड़ (सात हजार रुपए का नुकसान) पहुंचाने को लेकर दर्ज किया गया था। भिड़े और 92 अन्य लोगों पर तीसरा मामला (सीआर संख्या 38/08) भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया गया था। सभी आरोपियों में इस मामले में जनता और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, धमकी देने और पुलिस पर पत्थरबाजी करने का आरोप लगा था।

मुंबई में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख ने बताया, “शामिल किए गए तीन मामलों के अलावा महाराष्ट्र सरकार ने संभाजी के खिलाफ तीन अन्य मामले हटा लिए हैं।” उनके मुताबिक, दो मामले 2008 के मिर्जा-सांगली दंगों से जुड़े थे, जो कि सांगली पुलिस ने दर्ज किए थे। वहीं, तीसरे मामले के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।