पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने का फैसला किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल में हुई चुनावी हिंसा में टीएमसी को जिम्मेदार ठहराने को लेकर यह फैसला लेने की बात कही। ऐसे में बीजेपी नेता नेताओं ने उन्हें जमकर घेरा और पूछा कि 2011 में मौत पर राजनीति किसने की थी? टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए मुकुल रॉय ने कहा कि 2011 में जब ममता बनर्जी ने सीएम पद की शपथ ली थी, तब उन्होंने भी नंदीग्राम और सिंगूर में शहीद हुए लोगों के परिजनों को बुलाया था।

मुकुल रॉय ने जमकर बोला हमला: मुकुल रॉय ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी लोगों की मौत पर राजनीति करने की बात कह रही हैं। क्या उन्होंने 2011 में सिंगूर और नंदीग्राम हिंसा में शहीद हुए लोगों के परिजनों के साथ शपथ नहीं ली थी? क्या उन्होंने तापसी मलिक के पिता मोनोरंजन मलिक को शपथ ग्रहण में आने का न्यौता नहीं दिया था? क्या उनकी देखभाल और ठहरने के लिए लोगों को तैनात नहीं किया गया था?’’ उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह लोकतंत्र के त्योहार को सेलिब्रेट करने का मौका है। इसमें किसी राजनीतिक दल पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना चाहिए।

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जानें क्या हुआ था 2011 में?: बता दें कि सिंगूर में टाटा मोटर्स की फैक्ट्री और नंदीग्राम में स्पेशल इकोनॉमिक जोन को लेकर 2005-06 में जमकर हिंसा हुई थी। उस दौरान काफी लोगों की मौत भी हुई थी। उस वक्त ममता बनर्जी राज्य में विपक्ष की नेता थीं। इसी घटना में लोगों का समर्थन हासिल करके उन्होंने 34 साल पुराने वामपंथी शासन को 2011 में खत्म कर दिया था। तापसी मलिक सिंगूर में हुए प्रदर्शन का मुख्य चेहरा थीं। बलात्कार के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।

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शपथ ग्रहण को लेकर ममता ने कही थी यह बात: पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में न जाने को लेकर ममता बनर्जी ने बुधवार (29 मई) को कहा था, ‘‘मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी दावा कर रही है कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा के दौरान 54 लोगों की हत्या हो गई। इसका आरोप टीएमसी पर लगाया जा रहा है। यह सरासर गलत है। बंगाल में किसी भी तरह की राजनीतिक हत्या नहीं की गई। शपथ ग्रहण लोकतंत्र का उत्सव मनाने का मौका है। किसी भी दल को इसका इस्तेमाल राजनीतिक मौका भुनाने के लिए नहीं करना चाहिए।’’

बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों को बुलाने पर भड़की थीं ममता: बता दें कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की चुनावी हिंसा में मारे गए कार्यकर्ताओं के परिजनों को भी शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था। इसके बाद ममता बनर्जी भड़क गईं और उन्होंने शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होने की बात कही थी।