झारखंड बीजेपी नेता सीता सोरेन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। धनबाद की एक अदालत ने सीता सोरेन के पूर्व सहयोगी देवाशीष मनोरंजन घोष द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत को स्वीकार कर लिया है। इसमें उन्होंने सीता सोरेन पर इस साल की शुरुआत में कथित तौर पर अपहरण, मारपीट, लूटपाट और आर्म्स एक्ट के एक मामले में फंसाने का आरोप लगाया है। देवाशीष घोष, सीता सोरेन के पूर्व निजी सहायक (PA) थे।

जानें सीता पर क्या है आरोप

देवाशीष घोष ने आरोप लगाया है कि 6 मार्च को उन्हें सीता के कहने पर वहां एक शादी में शामिल होने के बहाने धनबाद ले जाया गया था। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि रास्ते में योजना अचानक बदल गई क्योंकि उन्हें वेडलॉक होटल से धनबाद के सोनोटेल होटल में भेज दिया गया, जहां साजिश सामने आई। घोष ने आरोप लगाया, “6 मार्च की शाम को जब मैं होटल (सोनोटेल होटल) में आराम कर रहा था, तो मुझे होटल से बाहर आने के लिए कहा गया, जहां लगभग 15 लोगों ने मुझ पर हमला किया, मेरे एटीएम और यूपीआई ऐप से पैसे लूट लिए और मेरे पास एक पिस्तौल (देसी कट्टा) सहित हथियार रख दिए। उसी रात सरायढेला पुलिस स्टेशन में आर्म्स एक्ट के तहत मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उसके तुरंत बाद मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। मैंने 31 दिन जेल में बिताए।”

घोष ने दावा किया कि सीता सोरेन के साथ मेरे विवाद के पीछे असली कारण राजनीतिक था। घोष ने कहा कि सीता ने उन पर नवंबर 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों के दौरान जामताड़ा सीट पर कांग्रेस नेता इरफान अंसारी के साथ गठबंधन करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जामताड़ा से चुनाव लड़ते हुए अंसारी (जो वर्तमान में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं) ने सीता को हराया था। सीता सोरेन भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं।

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इरफान अंसारी से मिलीभगत का आरोप

देवाशीष घोष ने कहा, “सीता ने आरोप लगाया कि मैंने उन्हें चुनाव हराने के लिए इरफान अंसारी से मुलाकात की। यह पूरी तरह से निराधार है।” उन्होंने बताया कि उनके चुनाव अभियान की देखरेख के लिए 25 सदस्यीय भाजपा समिति नियुक्त की गई थी। उन्होंने कहा, “अगर उन्हें किसी अनियमितता के बारे में कोई समस्या थी, तो पार्टी को जांच करनी चाहिए थी। लेकिन कोई जांच नहीं की गई। इसके बजाय मुझे फंसाया गया।”

जमानत पर रिहा होने के बाद देवाशीष घोष ने कहा कि उन्होंने पुलिस से संपर्क करने से परहेज किया और अब उन्होंने सीता के खिलाफ अपनी शिकायत के साथ सीधे धनबाद अदालत का रुख करने का विकल्प चुना है। अदालत ने मंगलवार को मामले में अपनी पहली सुनवाई की। घोष ने सबूत के तौर पर जेल आवेदन, कॉल रिकॉर्ड, ईमेल और अन्य दस्तावेज जमा किए हैं। सीता और उनके आठ सहयोगियों के खिलाफ उनके आरोपों का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आरती माला ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं सीता सोरेन

JMM के संरक्षक शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन (तीन बार विधायक रही हैं) ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले JMM छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। वहीं सीता सोरेन ने घोष द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है और उन पर झारखंड चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर 1.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया, “घोष ने मेरे जाली हस्ताक्षर किए और अपने बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए। चुनाव के दौरान उन्होंने दो से तीन फर्जी खाते भी खोले, ताकि प्रचार खर्च के लिए रखे गए पैसे को हड़प सकें।”

सीता ने इंडियन एक्सप्रेस को यह भी बताया कि उन्होंने घोष को कई जिम्मेदारियां सौंपी थीं, जिसमें उनके कानूनी भुगतान को संभालना भी शामिल था। सीता सोरेन ने आरोप लगाते हुए कहा, “मैंने उन्हें वकील को भुगतान करने के लिए 50,000 रुपये दिए थे, लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा कोई भुगतान नहीं किया गया था। उन्होंने पैसे अपने पास रख लिए।”

सीता सोरेन ने दावा किया कि उनके खाते से उनकी जानकारी के बिना कई लेन-देन किए गए और घोष चुनाव संबंधी भुगतान समय पर करने में विफल रहे। उन्होंने कहा, “उन्होंने मेरे वित्तीय मामलों तक अपनी पहुंच का दुरुपयोग किया और मेरे विश्वास को धोखा दिया।” सीता ने यह भी कहा कि उन्होंने घोष के खिलाफ कई मामले दर्ज कराएं हैं, जिनमें से एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत और दूसरा चेक बाउंस मामले में है। उन्होंने कहा, “उनके धोखाधड़ी के सबूत व्यापक हैं और मैंने अधिकारियों से गहन जांच करने का आग्रह किया है।”

सीता ने लगाया था आरोप

सीता के पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन को शिबू सोरेन का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता था। हालांकि, 2009 में ब्रेन हैमरेज के कारण दुर्गा की मृत्यु के कारण उनके छोटे भाई हेमंत सोरेन को JMM में शामिल किया गया। सीएम होने के अलावा हेमंत वर्तमान में JMM के अध्यक्ष भी हैं। JMM छोड़ते समय सीता सोरेन ने आरोप लगाया था कि वह लगातार उपेक्षा का शिकार रही हैं और उन्हें पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा अलग-थलग कर दिया गया है। JMM के अंदरूनी सूत्रों ने तब कहा था कि सीता अपनी भाभी कल्पना सोरेन (हेमंत की पत्नी, जो अब पार्टी की विधायक हैं) की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान थीं। सीता पर राज्य में 2012 के राज्यसभा चुनावों में रिश्वत लेने के आरोपों को लेकर सीबीआई का मामला भी चल रहा है। इस मामले में रांची की एक अदालत में मुकदमा चल रहा है। वह वर्तमान में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 2014 में दी गई जमानत पर बाहर हैं।