केंद्र सरकार के तीन अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा में किसान सड़कों पर उतर आए हैं। ऐसे में जहां एक तरफ विपक्ष में बैठी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने किसानों के प्रति समर्थन जता दिया है, वहीं सत्तासीन भाजपा और जजपा गठबंधन में टकराव के सुर फूटने लगे हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने तीन अध्यादेशों के जरिए फसलों के खरीद संबंधी नए नियम बनाए हैं, जिससे किसान नाराज हैं।
एक दिन पहले ही किसानों के संगठन- भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कुरुक्षेत्र के पीपली में नेशनल हाईवे को बंद कर दिया था। प्रदर्शन के दौरान किसानों की पुलिस से भी झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों के नेता गुरनाम सिंह चादुनी के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए हैं। हालांकि, इसके बावजूद चादुनी ने विरोध खत्म करने के बजाय मांग न माने जाने पर इसे और बढ़ाने की चेतावनी जारी कर दी।
किसान क्यों कर रहे अध्यादेशों का विरोध: किसानों का यह विरोध प्रदर्शन संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से ठीक पहले आया है। दरअसल, केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे सत्र में कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश पास कराना चाहती है। इन्हें 5 जून को ही तैयार कर लिया गया था। इनमें एक अध्यादेश किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020 है। इसके तहत अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था।
वहीं केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज, इडेबल ऑयल आदि को आवश्यक वस्तु के नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है। इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है, जिससे किसान नाराज हैं। किसानों का गुस्सा मुख्यतः पहले अध्यादेश की तरफ है, क्योंकि किसानों का मानना है कि सरकार इसके जरिए उस सिस्टम को खत्म करना चाहती है, जिससे मंडियों में उन्हें कृषि उत्पाद बेचने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता था।
जजपा क्यों नाराज?: जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्वजिय चौटाला ने पुलिस द्वारा किसानों पर बल इस्तेमाल करने के खिलाफ आवाज उठाई और घटना की जांच की मांग कर दी। सिर्फ जजपा ही नहीं भाजपा के दो सांसद- भिवानी-महेंद्रगढ़ से धरमबीर सिंह और हिसार से बृजेंद्र सिंह ने भी किसानों का समर्थन किया और पुलिस द्वारा बल इस्तेमाल करने की निंदा की।
भाकियू नेता चादुनी ने किसानों से प्रदर्शन जारी रखने की अपील करते हुए कहा कि सरकार अपनी जेलें तैयार कर ले। हम गिरफ्तार होने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर 14 सितंबर तक किसानों की मांग नहीं मानी गई, तो सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन होंगे और 20 सितंबर को राज्य की सभी सड़कों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि प्रदर्शन रोकने के लिए चाहे जितना बल इस्तेमाल किया जाए, लेकिन वे पलटवार नहीं करेंगे और प्रदर्शन मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा।