भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुटी है। जहां एक तरफ पार्टी में बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शामिल हो रहे हैं। इनमें कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जिन पर पहले से कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसे लेकर अब भाजपा के पुराने नेताओं ने विरोध के स्वर बुलंद किए हैं। ताजा वाकया एक बिजनेसमैन के भाजपा में शामिल होने का है, जिस पर कोयले की तस्करी के आरोप हैं। विरोध का आलम यह था कि दुर्गापुर में रैली के दौरान व्यापारी की एंट्री रोकने के लिए पुराने कार्यकर्ता उसके समर्थकों से भिड़ गए।
बताया गया है कि दुर्गापुर में सोमवार को भाजपा का योगदान मेला लगा था, इसमें कई लोगों को भाजपा में शामिल करााया जाना था। हालांकि, बंगाल भाजपा के प्रमुख दिलीप घोष और सांसद अर्जुन सिंह के कार्यक्रम में पहुंचने से पहले ही पुराने कार्यकर्ताओं और व्यापारी राजेश झा उर्फ राजू के समर्थकों के बीच आयोजनस्थल पर झगड़ा हो गया, जिसके बाद मारपीट और तोड़फोड़ हुई।
जानकारी के मुताबिक, दिलीप घोष ने खुद राजेश झा को भाजपा में शामिल कराने की पहल की। हालांकि, जब वे अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम में पहुंचे तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ता नाराज हो गए और उन्होंने कुर्सियों से व्यापारी के साथ आए लोगों पर हमला कर दिया। इस दौरान कई लोग मंच पर चढ़ गए और वहां से मेजें भी फेंक दीं। इसके कारण कार्यक्रम में देरी हुई और भाजपा के पश्चिमी बर्दवान इकाई के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण घोरुई को मौके पर पहुंचकर टकराव को रोकना पड़ा।
आरोपी व्यापारी को भाजपा में शामिल कराने पर घोरुई ने ‘द टेलिग्राफ’ कहा कि यह पूरा इलाका कोयले की बेल्ट में आता है और यहां किसी का भी व्यापार कोयले से जुड़ा हो सकता है। इसका यह मतलब नहीं कि हर कोई स्मग्लर हो।
दुर्गापुर पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि राजेश झा वामपंथी शासन के दौरान कोयला स्मग्लिंग में शामिल रहा। बंगाल में 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद वह गिरफ्तारी से बचने के लिए मलेशिया और सिंगापुर भाग गया था। हालांकि, ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के एक महीने के अंदर ही वह लौटा और उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। इसके बाद उसे जमानत पर छोड़ दिया गया। हालांकि, 2016 विधानसभा चुनाव के बाद उस पर नकली करेंसी और अवैध हथियारों की तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया था।