Akhilesh Yadav: भाजपा सरकार द्वारा स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर जोर दिए जाने का जिक्र करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को बड़ी बात कही। सपा चीफ ने कहा कि सरकार को अमेरिका से सीख लेते हुए चीन के लिए भारतीय बाजार बंद कर देने चाहिए या भारतीय विनिर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनके उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देना चाहिए।
लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा स्वदेशी का आह्वान करके केवल दिखावटी बातें कर रही है। लेकिन दिल से वे खुद विदेशी हैं। उन्होंने (भाजपा) भारतीय बाजारों में विदेशी वस्तुओं के आवागमन को कम करने के लिए कुछ नहीं किया है। अगर वे स्वदेशी का नारा बुलंद कर रहे हैं, तो उन्होंने हमारे भारतीय बाजारों को आयातित वस्तुओं के लिए क्यों खोल दिया है? सपा चीफ ने कहा कि चीन ने पूरे भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया है। भाजपा सरकार को अमेरिका से सीख लेनी चाहिए और चीन पर 100% टैरिफ लगाना चाहिए।
सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि हाल ही में औद्योगिक क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और स्थानीय बाज़ारों में भारतीय वस्तुओं के लिए जगह बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था। उनका मानना था कि त्योहारों का मौसम स्वदेशी को बढ़ावा देने का सही समय है और सरकार को भारतीय बाज़ारों को चीनी उत्पादों से मुक्त करके कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए था। उन्होंने कहा, “चीन पर टैरिफ लगाकर ऐसा किया जा सकता है। इससे स्वदेशी कुटीर उद्योग को वापसी करने में मदद मिलेगी।”
सपा नेता ने कहा कि कौन जानता है कि इस दिवाली पर चीनी लाइटों की अनुपस्थिति ने भारतीय लाइटों के लिए रास्ता तैयार कर दिया होगा, जो कभी बाजार में छाई रहती थीं।
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्वदेशी की बात केवल किसानों की घोर उपेक्षा जैसे वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कर रही है, जो उर्वरक पाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार कर रहे हैं और पुलिस की लाठियों का सामना कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान मंडियों में सुधार के लिए कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, सपा शासन के दौरान स्थापित किसान मंडियां उपेक्षा की कहानी बनकर रह गई हैं। लेकिन गरीब किसानों को धोखा देने के लिए सरकार किसानों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि जो सरकार उर्वरक उपलब्ध कराने में विफल रही और गन्ना खरीद मूल्य में सालाना वृद्धि नहीं करती, वह डिजिटल प्लेटफॉर्म की बात कर रही है।
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