प्रवर्तन निदेशालय ने राजस्थान के बीकानेर जिले में एक जमीन सौदा मामले में कथित धनशोधन की जांच के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वड्रा से जुड़ी एक कंपनी को नया नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेज पेश करने के लिए दूसरी बार समन जारी किया गया, क्योंकि जांच एजेंसी ने पिछले महीने इस संबंध में भेजे गए पहले नोटिस के जवाब में एक वकील की पेशी को ‘गैर अधिकृत’ करते हुए उसे खारिज कर दिया था। उन्होंने बताया कि कम्पनी मेसर्स स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी को मामले के जांच अधिकारी (आईओ) के समक्ष कंपनी से संबंधी वित्तीय बयानों और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया गया है।

मामले में भेजे गए पहले नोटिस के जवाब में पिछले सप्ताह एक वकील ईडी के समक्ष पेश हुआ था लेकिन जांच एजेंसी ने उसे ‘गैर अधिकृत’ बताते हुए यह कहकर खारिज कर दिया था कि वकील के पास कम्पनी के प्रतिनिधि के तौर पर ना तो कोई उचित कागजात हैं और ना ही कम्पनी की ओर से कोई अधिकार-पत्र। मामले के संबंध में बीकानेर जिला और अन्य जगहों पर ईडी की ओर से पिछले महीने गहन तलाशी के बाद यह नोटिस जारी किया गया है और उसने इस संबंध में कई दस्तावेज जब्त करने का दावा भी किया है। सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी निकट भविष्य में इस संबंध में कई अन्य लोगों और मामले में शामिल संस्थाओं को सम्मन जारी कर सकती है।

यह जांच बीकानेर की सीमा से सटे कस्बे के कोलायात इलाके में कम्पनी की ओर से कथित तौर पर 275 बीघा जमीन की खरीदी से संबंधित है। स्थानीय तहसीलदार की शिकायत के बाद राज्य पुलिस की ओर से प्राथमिकी दर्ज किए जाने के आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल धन शोधन का एक फौजदारी मामला दर्ज किया था।

बहरहाल, ईडी ने प्राथमिकी में वड्रा या उनसे जुड़ी किसी कम्पनी के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उसने राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों और कुछ ‘भू माफियाओं’ के नाम दिए हैं। बहरहाल, मामला दर्ज करने के दौरान उसने उन रिपोर्टों पर संज्ञान लिया जिसमें वड्रा से कथित रूप से जुड़ी एक कम्पनी का उल्लेख था, जिसने बीकानेर स्थित कुछ जमीनों को खरीदा था।

वड्रा ने किसी भी तरह के कदाचार से इनकार किया है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस कार्रवाई को ‘विशुद्ध रूप से राजनीतिक बदले की भावना’ से प्रेरित बताया है। ईडी ने पिछले साल दिल्ली में इसी मामले के सिलसिले में छापेमारी की थी। ‘अवैध निजी व्यक्तियों’ के नाम जमीन आवंटन किए जाने के भू विभाग के दावे के बाद राजस्थान सरकार ने पिछले साल जनवरी में 374.44 हेक्टेयर जमीन के हस्तांतरण को रद्द कर दिया था।