बिहार के भागलपुर में हुए सैकड़ों करोड़ रुपये के सृजन घोटाले में आरोपी बैंक ऑफ बड़ौदा के मैनेजर वरुण कुमार को सीबीआई अदालत ने मंगलवार (08 मई) को हाजिर होने का फरमान सुनाया है। फिलहाल ये पूर्णिया में पदस्थापित है। साल 2011-2014 के दौरान ये भागलपुर में तैनात थे, जब सृजन घोटाला हो रहा था। इस बीच सरकारी विभाग और सहकारिता बैंक ने इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, और बैंक ऑफ इंडिया के खातों की जमा रकम को सृजन के खाते में अवैध तरीके से ट्रांसफर करने के मामले में ब्याज समेत कुल 975 करोड़ रुपए वापस करने का नोटिस भेजा है। इसकी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक को भी दी गई है। जिन विभागों द्वारा इन तीन बैंकों को पत्र भेजा गया है उनमें नजारत, भू-अर्जन, कल्याण विभाग और केंद्रीय सहकारिता बैंक शामिल है।

सृजन घोटाले को उजागर करने वाले भागलपुर के डीएम आदेश तितरमारे का तबादला बीते हफ्ते राज्य सरकार ने पटना कर दिया है। उनकी जगह समस्तीपुर के डीएम प्रवीण कुमार ने ली है। घोटाले की आंतरिक जांच करने वाले डीडीसी अमित कुमार का तबादला घोटाला उजागर होने के फौरन बाद ही कर दिया गया था। इसके बाद जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था। मामले में सीबीआई अब तक चार आरोप पत्र अदालत में दायर कर चुकी है। बैंक ऑफ बड़ौदा के वरुण कुमार का भी नाम आरोप पत्र में है। इसी बैंक के रिटायर्ड चीफ मैनेजर अरुण कुमार सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। अरुण और वरुण एक साथ भागलपुर शाखा में तैनात रहे हैं।

एक अधिकारी ने जनसत्ता.कॉम को बताया कि डीआरडीए और जिला परिषद में अभी अंकेक्षण का काम पूरा नहीं हुआ है। इसके पूरा होने और घपले की सही राशि का आंकड़ा सामने आने के बाद बैंकों पर वसूली का दावा ठोका जाएगा। यों 170 करोड़ रुपए घोटाले की बात इन दोनों विभागों के अंकेक्षण के दौरान सामने आ चुकी है। वैसे 114 करोड़ रुपए ब्याज समेत लौटाने का नोटिस केंद्रीय सहकारिता बैंक ने बैंकों को शनिवार को भेजा है जिसमें 76 करोड़ रुपए बैंक ऑफ बड़ौदा और 38 करोड़ रुपए इंडियन बैंक को वापस करने को कहा है। वहीं भू-अर्जन विभाग ने 400 करोड़ रुपए और जिला नजारत ने 220 करोड़ रुपए वसूली का पत्र इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा की भागलपुर शाखा को भेजा है।

कल्याण विभाग ने भी बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को पत्र भेज 241 करोड़ रुपए लौटाने को कहा है। विभाग के अधिकारी की मानें तो ब्याज समेत यह आंकड़ा 300 करोड़ रुपए बैठता है। दूसरे महकमे का भी सही-सही आंकड़ा जुटाया जा रहा है और बैंकों से रकम वापस करने की मांग प्रक्रिया में जुटे हैं। हालांकि सीबीआई ने अभी अपनी जांच पूरी कर अंतिम रिपोर्ट नहीं दी है। साल 2003 से 2017 तक भागलपुर में पदस्थापित डीएम, डीडीसी या दूसरे विभागों के अधिकारियों के जारी चेक पर किए दस्तखत का मिलान और इनकी सृजन से सांठगांठ और भूमिका का खुलासा होना बाकी है।