तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व डीएमके प्रमुख स्वर्गीय एम करुणानिधि के परिवार की तरह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल बीते बुधवार (12 सितंबर, 2018) को साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें ऊंची जाति के लिए आरक्षण के मुद्दों के अलावा अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई। मीटिंग में पार्टी के सीनियर नेताओं के अलावा बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, मीसा भारती, जगदानंद सिंह, शिवानंद तिवारी, रघुवंश प्रसाद सिंह और तेजस्वी यादव मौजूद थे, तेजस्वी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मीटिंग की खास बात यह है कि तेज प्रताप यादव घर में होने के बाद भी इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए और वह पास के कमरें में बंद रहे। हालांकि आरजेडी विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन का कहना है कि दोनों भाइयों की जोड़ी राम-लक्ष्मण जैसी है। दोनों के बीच किसी तरह की दरार पड़ने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव पार्टी की बैठक में थे, तो तेजप्रताप राजद के छात्र नेताओं को पैदल मार्च के लिए सिताबदियारा को रवाना कर रहे थे, इसीलिए बैठक में नहीं आ सके।
बता दें कि लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव सार्वजनिक रूप से आरजेडी नेताओं पर निशाना साध चुके हैं। इतना ही नहीं तेज प्रताप फेसबुक के जरिए अपने परिवार के खिलाफ भी बोल चुके हैं। पोस्ट में तेज प्रताप ने लिखा था कि मां राबड़ी देवी उनकी सुनती नहीं हैं। इसके अलावा वह, खुद के खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार से तंग आ चुके हैं। अगर उनके खिलाफ इसी तरह का दुष्प्रचार चलता रहा और कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो वह राजनीति त्याग देंगे। हालांकि बाद में उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी और कहा कि भाजपा ने उनका अकाउंट हैक कर लिया था।
इसके अलावा तेज प्रताप पत्रकारों से कह चुके हैं कि बिहार आरजेडी अध्यक्ष राम चंद्र पूर्वे पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं, वह उनकी बात भी नहीं मानते हैं। तेज प्रताप यादव भाई तेजस्वी से भी खासे नाराज है। इसकी वजह यह है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री ने तेज प्रताप के समर्थकों की बहुप्रचारित पदयात्रा को हरी झंडी दिखाने से मना कर दिया। इससे सियारी गलियारों में चर्चा होने लगी है कि दोनों भाईयों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों तमिलाडू के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के निधन के बाद उनके छोटे बेटे एमके स्टालिन को पार्टी की कमान सौंपी गई है जबकि बड़े बेटे अलागिरी पार्टी से साइडलाइन हैं।