राजद के विवादास्पद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिस मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिली है, उसमें उसे पहले ही उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है। जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने वाली कलावती देवी के तीन युवा बेटों को शहाबुद्दीन के एक वफादार ने बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया था। महिला के दो बेटों की हत्या के चश्मदीद तीसरे बेटे को बाद में कथित तौर पर शहाबुद्दीन की शह पर हत्या कर दी गई थी।  कलावती के पति चंद्रकेश्वर प्रसाद की ओर से दायर एक अलग याचिका में 19 सितंबर को शीर्ष अदालत ने शहाबुद्दीन से जवाब मांगा था। प्रसाद ने अपनी याचिका में अपने तीसरे बेटे की हत्या के मामले में पटना हाईकोर्ट से शहाबुद्दीन को मिली जमानत को चुनौती दी है।

कलावती ने पटना हाईकोर्ट के इस साल दो मार्च को आए फैसले को चुनौती दी है। इसमें अदालत ने शहाबुद्दीन को अपील लंबित रहने के दौरान स्थायी जमानत दी थी।  सीवान की सत्र अदालत ने दोहरे हत्याकांड में शहाबुद्दीन को फिरौती के लिए अपहरण और हत्या का दोषी पाया था। उसे उम्रकैद की सजा दी थी। चश्मदीद युवक की मौत के मामले में मुकदमा चल रहा है। कलावती देवी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर जरा भी गौर नहीं किया है कि शहाबुद्दीन एक खतरनाक अपराधी है। उसे कानून की जरा भी परवाह नहीं है। हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी को जमानत भी दे दी गई जबकि उसके खिलाफ कई और मुकदमे अभी चल ही रहे हैं। यह तो न्याय का उपहास करने के समान है। कलावती देवी ने बिहार सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे के हवाले से कहा है कि नवंबर 2014 तक शहाबुद्दीन के खिलाफ 38 मामलों में मुकदमे लंबित थे। ये मामले हत्या, हत्या की कोशिश, खतरनाक हथियार से दंगा करना, वसूली करने समेत कई गंभीर अपराधों से संबंधित हैं।

उनकी याचिका पर संभवत: सोमवार को सुनवाई होगी। वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर की गई इस याचिका में देवी ने कहा है कि उनके दो बेटे गिरीश और सतीश को शहाबुद्दीन के वफादारों ने अगवा कर लिया था। पहले तो उनकी बुरी तरह पिटाई की गई और बाद में तेजाब डालकर उनकी हत्या कर दी गई। दोनों के शवों को नमक से भरे बोरे में बंद कर दफना दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि देवी के तीसरे बेटे राजीव रोशन को भी अगवा किया गया। लेकिन वह उनके चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहा। वह अपने दोनों भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था। देवी ने दावा किया कि दोहरे हत्याकांड मामले के लंबित रहने के दौरान जून 2014 में रोशन की भी कथित तौर पर शहाबुद्दीन के कहने पर हत्या कर दी गई।

इसके अलाव सुप्रीम कोर्ट सिवान में मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी की ओर से दायर मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की याचिका की सुनवाई भी कर रही है। पत्रकार को भी कथित तौर पर शहाबुद्दीन के इशारे पर ही मारा गया था। पटना हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में सात सितंबर को शहाबुद्दीन को जमानत दे दी थी। इसके बाद 10 सितंबर को उसे भागलपुर जेल से रिहा कर दिया गया। दर्जनभर मामलों के कारण वह पिछले 11 साल से जेल में था।