बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के बीच अनबन बढ़ गई है। नीतीश कुमार ने मंत्री की अनदेखी की और विभाग के काम की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता स्वयं की। दरअसल सरकार में मंत्री सुधाकर सिंह ने दावा किया था कि विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। उनका यह बयान शनिवार को राज्य में सूखे की स्थिति के संबंध में आया था।

सुधाकर सिंह ने पिछले मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा देने की धमकी दी थी और इसके बाद दोनों नेताओं के बीच संबंध बिगड़ गए थे। दरअसल एक बैठक के दौरान सुधाकर सिंह ने कहा था कि कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था और वह खुद चोरों के सरदार थे। नीतीश कुमार, सुधाकर सिंह की प्रतिक्रिया से अचंभित थे। जबकि सुधाकर सिंह को अपनी टिप्पणियों से कोई फर्क नहीं पड़ा और आरोप लगाया कि कृषि विभाग के सभी अधिकारी भ्रष्ट थे।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सीएम नीतीश कुमार, सुधाकर सिंह के रुख से नाराज हैं और इसलिए उन्होंने राज्य में सूखे की स्थिति पर समीक्षा बैठक मंत्री की अनुपस्थिति में की और उन्हें नजरअंदाज करने का फैसला किया। कृषि विभाग के प्रधान सचिव एन सरवनन भी बैठक में उपस्थित थे और उन्होंने विभाग से संबंधित सभी मामलों पर चर्चा की।

प्रमुख सचिव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सूखे से पीड़ित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए अपने विभाग द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि उनके विभाग ने लगभग 4.5 लाख प्रभावित किसानों को डीजल सब्सिडी के रूप में 62 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।

सुधाकर सिंह ने शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ही बिहार में कालाबाजारी करवा रही है। उन्होंने कहा किमैं तो एक महीने से मंत्री बना हूं। कालाबाजारी सिर्फ 25 दिनों से नहीं हो रही है।

सुधाकर सिंह 2013 में चावल घोटाले के आरोपी हैं और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज है। विपक्ष इसको लेकर भी उन पर लगातार निशाना साध रहा था। वहीं अब विपक्ष ये दावा कर रहा है कि महागठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है।