जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता इन दिनों दिल्ली में भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। द संडे गार्डियन ने रिपोर्ट दी है कि पेशे से डॉक्टर ये नेता दोनों पार्टियों के फिर से साथ आने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। इन्होंने पटना साहिब सीट से आम चुनाव भी लड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रुख में नरमी की है। इससे पहले भी खबर आई थी कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में औपचारिक मुलाकात के बाद अधिकारियों की गैरमौजूदगी में अकेले बातचीत की थी। बंद कमरे में हुई इस मुलाकात के बाद मोदी जब नीतीश को छोड़ने आए तो दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे नजर आए। बता दें कि नीतीश ने बिहार में बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद नीतीश कुमार पहले की तुलना में काफी बदले हुए अंदाज में दिखे थे। उनका रुख पीएम मोदी को लेकर नर्म दिखा। खबरों के अनुसार नीतीश ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से बढ़ रहे मतभेदों के चलते यह कदम उठाया है।
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इसी बीच भाजपा ने भी नीतीश कुमार और जेडीयू के प्रति गर्मजोशी दिखार्इ है। हाल ही में जब जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती मनाने के लिए 149 सदस्यों की कमिटी बनाई गई थी उसमें नीतीश कुमार के साथ ही जेडीयू के नेता शरद यादव और हरीवंश को भी शामिल किया गया था। हालांकि हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने आरएसएस पर जमकर निशाना बोला है। वे देश को आरएसएस मुक्त बनाने की बात कर रहे हैं। वहीं दीनदयाल उपाध्याय भी आरएसएस प्रचारक थे। अगर राजद से जेडीयू अलग हो जाती है और भाजपा उसके साथ आती है तो विधानसभा में उसकी संख्या 123 हो जाएगी। यह जरूरी बहुमत से एक ज्यादा होगी।
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राजद नेता और सीवान के बाहुबली शहाबुद्दीन के जेल से रिहा होने के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के रिश्तों में और खटास आ गई। जेल से बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि नीतीश परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं। वे उनके सीएम नहीं है। उनके नेता लालू यादव हैं। लालू यादव ने भी शहाबुद्दीन के बयान का समर्थन किया था। गौरतलब है कि पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले राजद और जेडीयू ने गठबंधन किया था। दोनों पार्टियां भाजपा को हराने के लिए साथ आर्इं थी। कांग्रेस, जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर महागठबंधन बनाया, जिसे विधानसभा चुनावों में जीत मिली थी।
भाजपा और जेडीयू पूर्व में साथी थे। दोनों ने मिलकर नौ साल तक बिहार में सरकार चलाई थी। लेकिन साल 2014 में लोकसभा चुनावों से पहले दोनों के बीच दरार आ गई। जेडीयू नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ थी। इसके बाद दोनों अलग-अलग हो गए थे।

