पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रियों और विधायकों को निर्देश दिया कि वह दलितों के क्षेत्रों में जाएं और उनके साथ कुछ समय बिताएं। इसका मकसद दलित समुदाय का पार्टी के प्रति खत्म हो रहे भरोसे को दोबारा हासिल करना था। हालांकि इस कवायद का हिस्सा बनने के दौरान केंद्रीय मंत्री एसएस अहलुवालिया ने एक दलित के घर खाना खाया तो विवादों में आ गए। केंद्रीय मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने दलित के घर जो खाना खाना वो बाहर से मंगवाया गया था। हालांकि मामले में केंद्रीय मंत्री का पक्ष जानना चाहा तो वह खासे भड़क गए। न्यूज एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा एक महिला 200-300 लोगों के लिए खाना कैसे बना सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि इसे मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है। इसे दलित के घर खाना खाने की भावना के रूप में क्यों नहीं देखा जा रहा है? खबर के मुताबिक जिस दलित के घर अहलुवालिया ने खाना खाया वह एक हलवाई ने बनाया था। महंगा चावल, उच्च स्तर की दाल और सब्जियां बाहर से लाई गईं। खाना बनाने के लिए सिर्फ आंगन दलित का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि केंद्रीय मंत्री के साथ खाना खा रहे लोग पिछड़ जाति के बताए जाते हैं।
बता दें कि पहले भी दलितों के घर खाना खाने पहुंचे भाजपा के कई नेता और केंद्रीय मंत्री विवादों में फंस चुके हैं। योगी आदित्य नाथ सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश राणा पर भी हलवाई से खाना मंगवाकर दलित के यहां खाने का आरोप लग चुका है। दलितों के घर खाना खाने के इस ट्रेंड पर भाजपा को अपनी पार्टी के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी सांसद सावित्री बाई फुले ने इसे दिखावा करार दिया था। उन्होंने कहा कि यह बहुजन समाज का अपमान है। उन्होंने कहा कि बात तब है कि नेता दलित के हाथ का खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं