बिहार में बीजेपी सम्राट अशोक की जन्म जयंती को धूमधाम से मनाएगी। अशोक के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 268 ईसा पूर्व और 232 ईसा पूर्व के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्से पर शासन किया था। भाजपा ने ही 2015 में पहली बार मौर्य राजा की जयंती का आयोजन शुरू किया था। 8 अप्रैल को सम्राट अशोक की 2327वीं जयंती है।

सम्राट अशोक की जयंती हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है। इस बार चैत्र महीने के आठवें दिन यानि 8 अप्रैल को अशोक की जयंती पड़ रही है। समारोह में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल होंगे। हालांकि इतिहासकार अशोक के जन्म की सही तारीख या वर्ष पर अलग-अलग मत रखते हैं। भाजपा का दावा है कि यह मौर्य राजा की 2327वीं जयंती होगी।

भाजपा राज्य कार्य समिति के सदस्य और समारोह के समन्वयक रत्नेश कुशवाहा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, “बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (जो कुशवाहा समाज से आते हैं) ने सम्राट अशोक के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 10 जिलों में रथों को झंडी दिखाकर रवाना किया। अशोक ने सबसे पहले अखंड भारत की अवधारणा दी थी। जिन जिलों में भाजपा के रथ चलेंगे, उनमें नालंदा, वैशाली, समस्तीपुर, गया, औरंगाबाद, नवादा, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण शामिल हैं और इन जिलों में ओबीसी समाज कुशवाहा की बड़ी आबादी रहती है।”

रत्नेश कुशवाहा ने कहा कि अशोक के महत्व पर पहले से रिकॉर्ड संदेश इन रथों पर बजाया जाएगा। अशोक को प्राचीन भारत के ‘राष्ट्रीय नायक’ के रूप में जागरूकता फैलाने के लिए लोगों के बीच पर्चे भी बांटे जाएंगे। भाजपा के पास कुशवाहा नेताओं की एक बड़ी संख्या है और वह लंबे समय से इस क्षेत्र में काम करने की कोशिश कर रही है।

कोइरी और कुशवाहा (जिन्हें अक्सर राजनीतिक शब्दों में लव-कुश कहा जाता है) समाज बिहार में लगभग नौ प्रतिशत (3% कुर्मी और 6% कोइरी-कुशवाहा) है। पूर्व सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने मार्च 2021 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया। अब एनडीए ‘लव-कुश’ वोटों को एकजुट करने की फिराक में है। जेडीयू 9 अप्रैल को अशोक जयंती मनाएगी। पिछले कुछ वर्षों से सम्राट अशोक को बिहार की राजनीति में ‘राष्ट्रीय प्रतीक के प्रतीक” के रूप में लिया जा रहा है।