बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और एलजेपी के बीच का तनाव अब भाजपा को सिरदर्द देने लगा है। पिछले दिनों जब एनडीए की बैठक के दौरान चिराग पासवान को निमंत्रण भेजा गया तो मामला और गहरा गया। इससे स्पष्ट हो गया कि एलजेपी अब भी केंद्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। लेकिन जदयू और हम पार्टी ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाकर इसका विरोध किया। अब मामला सुलझाने के लिए दिल्ली में मंथन हो रहा है। सोमवार शाम बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर बिहार के नेताओं की बैठक हुई।

ये भी रिपोर्ट्स हैं कि नीतीश कुमार के दबाव में चिराग पासवान को भेजा गया निमंत्रण रद्द कर दिया गया था। हालांकि चिराग ने यह कहते हुए बैठक में आने से इनकार कर दिया था कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। वह सर्वदलीय बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। दरअसल बिहार चुनाव के समय चिराग पासवान नीतीश कुमार पर जमकर बरस रहे थे। उन्होंने एनडीए से राज्य में किनारा भी कर लिया। हालांकि केंद्र में वह भाजपा के साथ बने रहना चाहते हैं।

समय-समय पर चिराग पासवान पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ किया करते थे. चुनाव के दौरान उन्होंने खुद को पीएम मोदी का हनुमान भी बताया था। गणतंत्र दिवस के मौके पर जब उनके पिता रामविलास पासवान को मरणोपरांत पद्मभूषण से सम्मानित किया गया तो पार्टी ने पूरे पेज का विज्ञापन निकलवाकर पीएम मोदी और नेतृत्व को धन्यवाद दिया। लेकिन भाजपा और एलजेपी की करीबी जदयू को रास नहीं आ रही है।

बजट सत्र शुरू होने पर संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान चिराग पासवान सदन में उपस्थित थे। भाजपा नहीं चाहती है कि जदयू से किसी तरह का मतभेद हो। लेकिन नीतीश को साधे रखने के लिए चिराग पासवान से दूरी बनाने के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। जेडीयू का कहना है कि लोजपा ने बिहार चुनाव के दौरान एनडीए के खिलाफ काम किया है जिससे कुछ नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे में जेडीयू लोजपा को एनडीए का हिस्सा नहीं मानती है। जेडीयू ने एनडीए की बैठक में जीतनराम मांझी को बुलाने की भी कड़ी निंदा की। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि चुनावों के दौरान हम पार्टी छुरा भोंक रही थी।