भागलपुर नगर निगम महापौर और उपमहापौर का चुनाव डीएम आदर्श तितमारे की निगरानी में हुआ। जिसमें सीमा साह महापौर और राजेश वर्मा उपमहापौर निर्वाचित घोषित किए गए। 23 मई को 51 वार्ड पार्षद के चुनाव नतीजे आने के बाद से ही तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे। जिस पर शुक्रवार को विराम लग गया।

महापौर और उपमहापौर के लिए दो दो पर्चे भरे गए। वार्ड 50 से जीती सीमा साह ने सीधी लड़ाई में वार्ड 37 से विजयी हुई पार्षद बबिता देवी को 34 मतों से हराकर महापौर निर्वाचित घोषित की गई। सीमा को 42 और बबिता को 8 वोट मिले। वहीं उपमहापौर की कुर्सी के लिए निवर्तमान उपमहापौर और 19 नंबर वार्ड से पार्षद चुनी गई प्रीति शेखर और 38 नंबर वार्ड के पार्षद राजेश वर्मा के बीच मुकाबला था। जिसमें राजेश वर्मा ने 44 पार्षदों का वोट पाकर उपमहापौर की कुर्सी प्रीति शेखर से छीन ली। प्रीति को केवल 6 वोट ही हासिल हुए, जिसमें एक वोट रद्द हो गया।

यहां एक दिलचस्प बात यह है कि महापौर की सीट तो पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित थी। जिस पर तो महिला को ही आना था। लड़ाई पुरुष और महिला के बीच उपमहापौर के लिए ही थी। जिस पर भी महिलाएं चाहती तो किसी महिला को ही इस पद पर बैठा सकती थी। दरअसल, इस दफा यहां के नगर निगम सदन में बोलबाला महिलाओं का ही है। 51 वार्ड पार्षद में 36 महिला पार्षद निर्वाचित हुई है, मगर ऐसा नहीं हो सका। इसके पीछे कई तरह के किस्से सुनने को मिल रहे हैं। महापौर और उपमहापौर थोक भाव में मिले वोट कुछ कहते हैं।

शुक्रवार सुबह से ही जिलाधिकारी दफ्तर के बाहर गहमागहमी का माहौल था। एहतियात के तौर पर दफा 144 लगा दी गई थी। शहर के 34 स्थानों पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस बल तैनात किए गए थे। जुलुस निकालने पर सख्त बंदिश थी। सबसे पहले सभी नवनिर्वाचित पार्षदों को डीएम ने शपथ दिलाई। इसके बाद महापौर और उपमहापौर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई।

भागलपुर नगर निगम बनने के बाद यह चौथा चुनाव है। जिसमें तीन दफा महापौर कुर्सी की शोभा महिला ने ही बढ़ाई है। मसलन पहली महापौर कहकशां परबीन बनी, जो फिलहाल राज्य सभा की जद (एकी) से सदस्य है। दूसरी महापौर बनी बीणा यादव और तीसरी अबकी सीमा साह बनी। निवर्तमान महापौर दीपक भुवानियां थे।

अलबत्ता एक परंपरा का और भी निर्वाह हुआ। महिला महापौर जब-जब बनी तब-तब पुरुष उपमहापौर बने। पहली दफा प्रदीप यादव तो दूसरी पाली में बाबुल खान और अबकी राजेश वर्मा। निवर्तमान उपमहापौर प्रीति शेखर थी। यानि 20 सालों से चला आ रहा है। इस सामंजस्य की सभी तारीफ कर रहे हैं और नए महापौर और उपमहापौर को बधाइयों का तांता लगा है।

नगर निगम चुनाव दलगत नहीं है, फिर भी राजनैतिक दलों के आकाओं की नजरें पटना और दिल्ली से गड़ी थी। कोई एनडीए तो कोई महागठबंधन की राजनीती की बात कर रहा था। जो बेफालतू साबित हुई। यह अलग बात है कि महापौर बनी सीमा साह जिला परिषद अध्य्क्ष अनंत कुमार उर्फ टुनटुन साह की धर्मपत्नी है और ये भाजपा से जुड़े हैं। वहीं राजेश वर्मा एक सर्राफा व्यापारी हरिओम वर्मा के बेटे हैं। इनका वैसा कोई राजनैतिक कैरियर नहीं रहा है। हालांकि प्रीति शेखर भी भाजपा से जुड़ी है। लेकिन सीमा साह के खिलाफ इन्होंने कई तरह से मोर्चा खोल रखा है। इनकी उम्र विवाद को लेकर गुरूवार को इन्होंने थाना कोतवाली में मामला भी दर्ज कराया है। इनकी कोशिश थी कि महापौर और उपमहापौर का चुनाव 9 जून को टल जाए। इसके लिए चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा। मगर बहरहाल ये कामयाब नहीं हो सकी।