जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने केंद्र के नोटबंदी कदम का समर्थन करने को लेकर उसके अध्यक्ष नीतीश कुमार को ‘गद्दार’ कहने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार किया और उन्हें ‘दादा’ की तरह व्यवहार करने के खिलाफ चेताया। जदयू महासचिव के सी त्यागी ने एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘वो दीदी के रूप में अच्छी लगती हैं, उन्हें दादा के रूप में व्यवहार नहीं करना चाहिए।’ ममता ने पटना में 30 नवंबर को एक धरने के दौरान यह टिप्पणी की थी।
राजग नीत केंद्र सरकार का विरोधी होने के बाद भी नोटबंदी का विरोध नहीं करने पर जदयू की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि लोग ‘गद्दारों’ को नहीं बख्शेंगे। ममता का परोक्ष इशारा नीतीश कुमार की तरफ था। बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन का घटक होने के बाद भी जदयू राज्य की राजधानी में नोटबंदी के मुद्दे पर हुए ममता के धरने से दूर रहा था जबकि दूसरे घटक राजद ने तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन का समर्थन किया था। स्थानीय जदयू नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस को ‘घोटालेबाजों की पार्टी’ करार दिया।
नीतीश कुमार ने शनिवार को दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स लीडपशिप सम्मेलन में कहा था कि बहुत ज्यादा आक्रमकता से (किसी भी नेता में) लोगों की धारणा बदल सकती है। कुमार का परोक्ष संकेत पटना के धरने में ममता द्वारा दिए गए अरिूचकर बयान की ओर था।
इसके साथ ही भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी ममता बनर्जी पर पलटवार किया है। विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि ममता इन दिनों इसलिए परेशान हैं, क्योंकि उनके ‘खास’ लोगों का नकली नोटों का कारोबार नोटंबदी के कदम से ठप हो गया है। विजयवर्गीय ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 प्रतिशत जाली नोट पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में आते हैं। मेरा सीधा आरोप है कि पश्चिम बंगाल में नकली नोट का व्यवसाय करने वाले लोग तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं। ये लोग ममता के खास हैं। नोटबंदी के कारण इन लोगों की दुकानें बंद हो गयी हैं जिससे ममता परेशान हैं।’
