दिल्ली सरकार के पूर्व कानून मंत्री और विधायक जितेंद्र सिंह तोमर की कथित एलएलबी की फर्जी डिग्री के सिलसिले में जांच के लिए तीन अधिकारियों की टीम 22 मार्च को दिल्ली से भागलपुर पहुंची। टीम ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव से जरूरी जानकारी हासिल की। थाना हौ जखासके एसएचओ सतिंदर सांगवान के नेतृत्व में भागलपुर आई तीन अधिकारियों की टीम ने बताया कि दिल्ली पुलिस इस मामले में आरोप पत्र दायर कर चुकी है। इसमें तोमर के अलावा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और मुंगेर की विश्वनाथ सिंह आफ लीगल स्टडीज के 17 अधिकारी और कर्मचारी आरोपी बनाए गए है। सांगवान ने भागलपुर आने का मकसद बताते हुए कहा कि 20 मार्च को तोमर की एलएलबी की डिग्री को तिलकामांझी विश्वविद्यालय की सीनेट ने ध्वनि मत से रद्द करने का फैसला किया है। इसी निर्णय की पूरी प्रक्रिया और इस बाबत जारी अधिसूचना की लिखित जानकारी हासिल करने के लिए टीम आई है। एक सवाल पर एसएचओ ने कहा कि यदि नई जानकारी मिली और दूसरे अधिकारी या कर्मचारी की मिल्लत इस मामले में जाहिर होगी तो आरोपपत्र में उनका नाम भी जोड़े जाने का नियम खुला है।
बुधवार को बिहार दिवस के सिलसिले में सरकारी तौर पर छुट्टी होने के बावजूद प्रभारी कुलपति प्रो. क्षमेंद्र कुमार सिंह और कुलसचिव डा. आशुतोष प्रसाद और इम्तहान महकमा के ख़ास कर्मचारी विश्वविद्यालय पहुंचे। दिल्ली पुलिस की टीम रजिस्ट्रार के चेंबर में उनका पहले से ही इंतजार कर रही थी। कुलसचिव से काफी देर तक इस मुतल्लिक पूछताछ की और जरूरी कागजात हासिल किया। कुलसचिव ने बताया कि मुंगेर का वीएनएस कालेज प्राइवेट है। निजी कॉलेजों के बारे में भी दिल्ली पुलिस ने जानकारी हासिल की। प्रभारी कुलपति क्षमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तोमर मामले से जुड़ी जानकारी और सीनेट के फैसले के बारे में मांगी गई जानकारी लिखित रूप में जांच टीम को मुहैया करा दी गई।
दिल्ली के साकेत कोर्ट में दायर आरोपपत्र के मुताबिक 15 अधिकारियों और कर्मचारियों को पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. अवधेश कुमार राय की अध्यक्षता में बनी आंतरिक जांच समिति ने कसूरवार ठहराया था। पुलिस की कागजी पड़ताल और पूछताछ में भी इनका दोष सामने आया। मुंगेर के वीएनएस आफ लीगल स्टडीज के सेंटर सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार सिंह और कॉलेज के मालिक आनंद विजय पर भी चार्जशीट में आरोप तय किया है। बाकी 15 नाम ये हैं- कॉलेज के उस वक्त के प्राचार्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह, वहां के लेक्चरार जनार्दन प्रसाद यादव, हेड क्लर्क कृष्णानंद, विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र प्रसाद सिंह, राजीव रंजन पोद्दार, इम्तहान महकमा से जुड़े बड़े नारायण सिंह, रजी अहमद, सदानंद राय,अनुरुद्ध दास, निरंजन कुमार, दिनेश श्रीवास्तव, शंभुनाथ सिंहा, भूदेव प्रसाद सिंह, एचके पांडे और रामवतार शर्मा ।
दिल्ली पुलिस टीम के मुताबिक़ दायर आरोप पत्र हजारों पन्ने में है। तोमर के इंटर से लेकर कानून की डिग्री हासिल करने के तमाम रिकार्ड और विश्वविद्यालयों के 1994 से 1998 सत्र के टेबुलेशन रजिस्टर, अवध विश्वविद्यालय फैजवाद का स्नातक विज्ञान का और बुंदेलखंड झांसी का माइग्रेशन रिकार्ड रजिस्टर जैसे जरूरी कागजात आरोप पत्र के साथ लगाए हैं। तोमर ने ये सभी डिग्री फर्जी तरीके से हासिल कर मुंगेर की लीगल स्टडीज में दाखिला लेते वक्त प्रस्तुत किया था। जांच में भी सभी फर्जी साबित हुई है। ऐसा पुलिस टीम ने बताया। इतना ही नहीं उन्हें गिरफ्तार कर जब फैजाबाद और मुंगेर ले जाकर यह पूछा गया कि उन्होंने किस कमरे में बैठ कर इम्तहान दिया था तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था।