लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। चिराग ने नीतीश से उन परिवारों के आंकड़े (अपराध के मामले दर्ज) दिखाने के लिए भी कहा जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। चिराग पासवान ने पूछा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आंकड़े के बारे में बात कर रहे हैं। उन्हें ये आंकड़े उस परिवार को दिखाने चाहिए, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। क्या यह आंकड़े उनके आंसू पोंछेंगी?
चिराग ने पूछा, “क्या नीतीश कुमार को पता है कि बिहार में कितने मामले दर्ज नहीं होते हैं? अगर आपको एफआईआर दर्ज करनी है, तो आपकी एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है। लूट, डकैती के ज्यादातर मामले दर्ज नहीं होते हैं।’
एलजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘पटना में एक महीने में 30 हत्याएं हुई हैं। ऐसे में राज्य के अन्य जिलों की स्थिति क्या होगी आप लोग खुद कल्पना कर सकते हैं। चिराग ने कहा कि इसे आप ‘जंगल राज’ और ‘गुंडा राज’ नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?’
इससे पहले शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार के मुकाबले दिल्ली में देश में सबसे ज्यादा अपराध दर्ज होते हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि NCRB रिकॉर्ड के मुताबिक, दिल्ली में अपराध सबसे ज्यादा हैं, चाहे वह हत्या हो, अपहरण हो, बलात्कार हो या लूट हो। यह सब देश की राजधानी दिल्ली में हो रहा है, जहां पीएम, राष्ट्रपति रहते हैं और जहां की पुलिस गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए, एलजेपी अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान न देकर मुंबई में आगामी इंडिया गठबंधन की बैठक में व्यस्त हैं। उन्हें इस बात की चिंता है कि क्या उन्हें संयोजक बनाया जाएगा या नहीं। उन्हें बिहार की चिंता नहीं है।
लद्दाख में चीनी घुसपैठ पर राहुल गांधी के बयान पर बोलते हुए चिराग पासवान ने कहा कि कांग्रेस सांसद को सरकार के साथ सबूत साझा करना चाहिए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि बिना किसी तथ्यात्मक सबूत के सार्वजनिक रूप से ऐसी बातें बोलने से समाज में अशांति फैल सकती है।
चिराग पासवान ने कहा कि अगर आपके पास लद्दाख में चीनी घुसपैठ के सबूत हैं तो आपको इसे सरकार के साथ साझा करना चाहिए। इससे पहले उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कश्मीर में महिलाओं के बारे में कुछ बातें कही थीं, जिसके बारे में उन्होंने कोई सबूत या साक्ष्य साझा नहीं किया। ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से बिना कहे ही कही गईं।