बिहार पहली बार बगैर शराब के होली का त्यौहार मनाने जा रहा है। सरकारी तौर पर सूबा इस बार होली में नशा मुक्त बिहार होगा। वैसे नशा के बगैर होली के त्यौहार की उमंग मनाने का बिहार आदी नहीं रहा है। लिहाजा, गैरकानूनी तौर पर राज्य में शराब की खेप पहुंच रही है। उसी तादाद में जब्त भी हो रही है। बावजूद इसके चिंता इस बात की सता रही है कि कहीं जहरीली शराब पीकर कोई बड़ा हादसा न हो जाए। अगले हफ्ते होली है। राज्य सरकार और तमाम जिला प्रशासन को यही डर सता रहा है। हरेक स्तर पर इस बारे में बैठकें कर सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है। यहां तक कि जिस किसी थाना क्षेत्र में शराब पीने या हुड़दंग की वारदात होगी उस थाने के थानेदार नपेंगे, ऐसी धमकी भी दी जा रही है लेकिन खबर है कि होली पर होम डिलेवरी थानेदारों से ही मिलकर हो रही है।

दरअसल, भागलपुर के लोगों को होली आते ही अजीब सी सिहरन होने लगती है। इन्हें 1987 की होली याद है। उस साल जहरीली शराब बैगपाइपर की बोतलों में भरकर बेची गई थीं। कैलाश प्रसाद शर्मा, जनार्दन यादव बताते हैं कि उस साल होली पर शराब बेचने की मनाही थी। बावजूद लोगों ने बेचीं और छक कर पी। बैगपाइपर की बोतलों में मौत बेची गई थीं। दो दर्जन से ज्यादा मौतें हुई थी और जो बच गए थे उनकी आँखों की रौशनी चली गई थी। किसी की एक आँख और जुबान बेकार हुई सो अलग। उस वक्त प्रशासन ने शराब बेचने की सख्त मनाही तो की थी मगर सख्त कदम उठाने में कोताही बरती थी। अबकी बात कुछ अलग है। बीती पहली अप्रैल से सूबे में पूर्ण शराबबंदी है मगर बेचने, पकड़े जाने, जब्त होने की खबरें करीबन रोजाना मिल रही है। हालत यह है कि भागलपुर रेल थाना में जब्त शराब रखने की जगह की किल्लत हो गई है। अदालत की इजाजत से मजिस्ट्रेट की निगरानी में बोतलों की सील तोड़ शराब नालियों में बहाई गई। बिहार के दूसरे थानों की भी हालात कमोवेश ऐसी ही है। फिर भी गोपालगंज में शराब पीने से मौतें हुई। यह अचरज की बात है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और बिहार सरकार के मंत्रीगण शराबबंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला बनाते हुए।(Photo-PTI)

होली पर खतरा ज्यादा है। कहते हैं बिहार में शादी-ब्याह के मौके पर बारात में नागिन डांस न हो और होली पर कपड़ा फाड़ होली न खेली तो सब मजा किरकिरा है। यह काम नशे में ही हो सकता है। इसी वजह से बारात में अब हो हुड़दंग पहले जैसा नहीं रहा। जो थोड़े सक्षम हैं वे बगल के राज्य झारखंड के देवघर या वासुकीनाथ धाम में जाकर शादी करना पसंद करते हैं। इससे बाराती भी खुश रहते हैं। मगर होली त्यौहार तो लोग घर में ही अपने परिवार, यार-दोस्तों के साथ मिल मनाने की कोशिश करते हैं। मालपुआ के साथ रंगीन-मिजाज के बगैर तो होली फीकी है। बीते साल तक तो बंदी में पहले ही पीनेवाले इंतजाम कर लेते थे। अब तो बेचने और पीने दोनों पर सख्ती है।

पुलिस और आबकारी महकमा ने हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर, गया, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय, पटना बगैरह ज़िलों से करोड़ों रुपए की शराब बरामद की है। पूर्णिया में तो राजद की महिला नेत्री की ऑल्टो कार से 19 बोतल विदेशी शराब पुलिस ने पकड़ी है। कार में वे भी मौजूद थी। पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सड़क रास्ते और ट्रेनों से बड़ी तादाद में तस्करी हो रही है। ट्रेनें तो मयखाना एक्सप्रेस बनी है। पीने के शौकीन झारखंड-बिहार की सीमा से सटे साहेबगंज, उधर देवघर, वासुकीनाथ शहर जाकर छक कर पी रहे हैं। यहां तक कि बांका पुलिस कैंप से जाकर रंगरूट भी अपना मूड बना आते हैं। एक दफा तो हंगामा करते पकड़े गए। नौकरी तो गई ही जेल भी भेजे गए। पुलिस भी चोर उचक्के के बजाए पियक्कड़ों को पकड़ने में ज्यादा दिलचस्पी रखती है। कारण मोटी कमाई का बढ़िया जरिया है।

जिन लोगों की पुलिस से दोस्ती है उन्हें किसी बात का डर नहीं है। वैसों का धंधा चमक रहा है। फोन कीजिए होम डिलीवरी तैयार है। हैरान करने वाली बात यह है कि कम उम्र के लड़के इस काम में लगे हैं। यह शासन-प्रशासन के लिए खतरे की घंटी है। इस पर सख्ती न हुई तो कहीं होली पर रंग न उड़ जाए। हालांकि, भागलपुर के डीएम आदर्श तितरमारे और एसएसपी मनोज कुमार बिहार-झारखंड सीमा पर ख़ास सख्ती और निगरानी की बात कह रहे हैं लेकिन होली सामने देख सुशासन बाबू के भी होश उड़े हैं। नशाबंदी के समर्थन में दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाकर बिहार ने कीर्तिमान रचा है लेकिन राज्य में पूर्ण नशाबंदी का नगाड़ा सही तरीके से होली गुजर जाने के बाद ही बजेगा, यह तय है।