भोजपुरी में एक पुरानी कहावत है कि मार के डर से भूत भी सच बड़बड़ाने लगता है, इन्सान तो इन्सान ही है। कुछ ऐसा ही हुआ बिहार कर्मचारी चयन आयोग के सचिव और पर्चा लीक कांड के सूत्रधार परमेश्वर राम के साथ। आरोप है कि राज्य में अराजपत्रित और तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली करने वाले बिहार कर्मचारी चयन आयोग में मध्‍य प्रदेश के व्‍यापमं टाइप का घोटाला चल रहा है। परीक्षा से पहले ही पर्चा बाजार में बिकने लगता है और अंदरखाने भी ले-देकर रिजल्ट दिया जा रहा है। जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी के अफसरों ने जब पूछताछ के लिए आयोग के सचिव परमेश्वर राम को धरा तो पहले वह अकड़ने लगे। फिर अपने राजनीतिक आका का नाम लेकर मोबाइल से उनका नंबर मिलाने लगे पर एसआईटी के लोग नरम नहीं पड़े। एक गठीले बदन वाले पुलिस अधिकारी ने जब उनके गाल पर कसकर दो झापड़ मारा तो परमेश्वर राम के हलक से सच बाहर आने लगा। फिर सच्चाई सुनकर पटना के सीनियर एसपी मनु महाराज समेत नहां मौजूद तमाम अधिकारी सन्न रह गए।

गिरफ्तार परमेश्वर राम ने खुलासा किया है कि आयोग ने पिछले 5 सालों में जितनी भी नियुक्तियां की हैं, सभी में भयंकर गड़बड़ियां हुई हैं। अरबों रूपये की उगाही हुई है तथा सैकड़ों बड़े अधिकारियों और राजनेताओं के सगे-सम्बधियों की बहाली की गई है। उसने रोते हुए पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी से कहा ‘‘देवता, हम तो इस वृहद स्कैम के एक अदने से खिलाड़ी हैं। हमें क्यों इतना पीट रहे हैं।” छपरा जिले के रहने वाले और अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले इस अधिकारी ने ललकारते हुए कहा, ‘‘हिम्मत है तो तो असली किंगपिन को पकड़िये जिनके इशारे पर ये सब हो रहा है।’’ पूछताछ के दौरान आयोग के सचिव ने 36 राजनेताओं (जिसमें 7 मंत्री और 29 विधायक हैं) के अलावा 9 आईएएस अधिकारियों का नाम लिया है जो किसी न किसी रूप में इस घोटाले का लाभार्थी रहे हैं।

बिहार कर्मचारी चयन आयोग का गिरफ्तार सचिव परमेश्वर राम (दाएं) और एक अन्य कर्मचारी।

पुलिस सूत्रों के हवाले से इस घोटाले के तार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से जुड़े होने की आशंका है। मामले में कुख्यात रंजीत डॉन के साथ-साथ मुख्यमंत्री के एक करीबी बड़े राजनेता की संलिप्तता की भी आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि सत्ता के गलियारे में वो राजनेता सीएम के क्लोन के रूप में ट्रीट किए जाते हैं। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि शायद इसीलिए सीएम ने जांच की जिम्मेदारी एसआईटी को दी है ताकि जांच में कुछ अगर-मगर की गुंजाइश रखी जा सके। 31 मई 2015 को उद्भेदित चर्चित टॉपर/मेरिट घोटाला में भी यही हुआ था। इस स्कैम की भी पटना के सीनियर एसपी मनु महराज ने ही जांच की थी। कुल 30 लोगों को पकड़कर जेल भेजा गया था, जिसमें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह एवं सरगना बच्चा सिंह शामिल है। इस मामले में जांचकर्ता का हाथ असली गुनहगार तक पहुंचता उससे पहले ही जांच पर फुल स्टॉप लगा दिया गया था।

मेरिट घोटाले में गिरफ्तार लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी उषा सिन्हा भी मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा से संबंध रखते हैं। उषा सिन्हा नालंदा के हिलसा से जनता दल यू की विधायक रह चुकी हैं। दोनों पति-पत्नी कॉलेज प्रोफेसर रह चुके हैं। उषा सिन्हा पर कटाक्ष करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने पिछले दिनों एक सभा में कहा था ‘‘मुझे अपने लोगों को समझने में बड़ी दिक्कत हो रही है कि कौन चोर है और कौन साधु। सीएम की इस कथनी में कितनी गंभीरता है ये तो वही बता सकते हैं पर इन तमाम घोटालों से आहत बिहार के लाखों बेरोजगार युवकों और आम लोगों के लिए नीतीश कुमार की कथनी अविश्वसनीय लगती है। उनका एक करीबी अधिकारी बताता है ‘‘साहब को जानकारी थी कि कई घोटालों का मास्टरमाइंड रंजीत डॉन और 3 राजनेता एकसाथ एक रिटायर्ड पुलिस अफसर के घर पकौड़ी खा रहे हैं, फिर भी उसी में से एक नेता अभी मंत्रिमंडल में शामिल है और नीतीश कुमार को पीएम बनाने का बीड़ा उठाए हुए है।’’

हल्ला यह भी है कि छपरा जिले से आने वाला और दशकों से राजनीतिक पैठ रखने वाला एक बड़ा राजनेता भी पर्दे के पीछे से घोटाले को अमलीजामा पहनाने के लिए डाइरेक्शन दे रहा था। बहरहाल, अगर जांच निष्पक्ष तरीके से हुई तो जांच की परिधि में कई वीवीआईपी के आने की प्रबल आशंका है। नालन्दा तथा नवादा के एक जाति विशेष के कई शातिर लोग हैं जो इस घाटाले में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पर आशंका यह भी है कि जांच जितनी तेजी से और जितनी लंबी चल जाए परंतु किसी भी शर्त पर इस घोटाले का न तो गुरू पकड़ाएगा और न ही गुरूघंटाल।