सम्राट चौधरी दो साल पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। अभी बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। बिहार की तीन प्रमुख पिछड़ी जातियां हैं। एक यादव जिसके सिरमौर लालू यादव बने। दूसरी कुर्मी जिसके नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं और तीसरी प्रमुख पिछड़ी जाति है कुशवाहा। कभी शकुनि चौधरी इस जाति के कद्दावर नेता थे। आजकल यह दावा उपेंद्र कुशवाहा के बारे में किया जाता है। बहरहाल सम्राट हैं शकुनि चौधरी के बेटे। विवादों से पुराना नाता रहा है।
आजकल राज्यसभा की चाह में बेचैन हैं। इससे पहले एमएलसी की चाहत भी भाजपा ने पूरी नहीं की थी। राजद, जद (एकी) व जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ यानी बिहार की सभी प्रमुख पार्टियों की शोभा बढ़ा चुके हैं। उम्र को लेकर पहली बार 1999 में विवादों में घिरे थे। उनके पिता शकुनि 1998 में समता पार्टी के उम्मीदवार के नाते लोकसभा में चुन कर आए थे। विधानसभा उपचुनाव में पत्नी पार्वती को निर्दलीय लड़ा दिया। वे जीत भी गईं। तब राबड़ी देवी को उनके समर्थन की जरूरत थी। पत्नी का समर्थन राबड़ी को दिला दिया, बदले में बेटे सम्राट को मंत्री बनवाया।
वे सदन के सदस्य नहीं होने के कारण छह महीने ही पद पर रह सकते थे। लेकिन इससे पहले ही उनके एक शपथ पत्र को आधार बना उनकी उम्र की शिकायत हो गई। राज्यपाल ने जांच कराई और उन्हें 19 साल का ठहरा कर मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। उनके जन्म प्रमाणपत्र में तीस की उम्र थी। मतदाता सूची के हिसाब से उम्र 28 थी। तब उनके पीछे भाजपाई ही पड़े थे। अब वे भाजपाइयों के ही दुलारे हैं।