नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पर बढ़ते मरीजों के बोझ को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में बिहार में दूसरा एम्स खोलने की घोषणा की थी। अगले साल (2015-16) के बजट में भी वित्त मंत्री ने इसके लिए आवंटन किया लेकिन तीन साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी राज्य की नीतीश सरकार इसके लिए 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है। यह हालात तब हैं जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने खुद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जमीन देने का अनुरोध किया। उनके पत्र के बाद मंत्रालय ने पांच बार बिहार सरकार को रिमाइंडर भेजा है लेकिन अभी भी हालात जस के तस बने हुए हैं।
बता दें कि राज्य में डॉक्टरों की घोर कमी है। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी है। इंडिया टुडे के मुताबिक 10 करोड़ की आबादी वाले राज्य में मात्र 6,830 डॉक्टर ही हैं। राज्य में डॉक्टर मरीज का अनुपात अचरज में डालने वाला है। यहां एक डॉक्टर पर कुल 17 हजार 685 मरीजों के इलाज का भार है जो राष्ट्रीय औसत (1:11,097) से भी ज्यादा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने सीएम नीतीश कुमार को सबसे पहले आठ जून, 2015 को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार तीन-चार स्थलों की पहचान करें, जिनमें एक स्थल पर एम्स की स्थापना की जा सके। जब राज्य सरकार से इसका जवाब नहीं आया तब केंद्र सरकार की तरफ से 10 दिसंबर, 2015, 06 मई, 2016 को रिमाइंडर भेजा गया। इसके बाद 3 अगस्त 2016 को बिहार सरकार की तरफ से जवाब भेजा गया मगर जमीन आवंटन की बजाय केंद्र से ही राज्य सरकार ने स्थान चयन करने को कहा। राज्य सरकार ने पत्र में लिखा कि वे कोवल जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करेंगे।
इस पत्र का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने आठ दिसंबर, 2016 को पिर लिखा कि स्थान का चुनाव और जमीन अधिग्रहण राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए 3-4 उपयुक्त जगहों का चुनाव कर उसकी सूची भेजी जाय। इसके जवाब में 29 मार्च 2017 को फिर से राज्य सरकार की तरफ से लिखा गया कि केंद्र ही स्थान का चयन करे। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को 12 अप्रैल, 2017 और 2 फरवरी, 2018 को रिमाइंडर भेजा गया कि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध कराए। केंद्रीय मंत्री नड्डा ने भी कुछ दिनों पहले 1 जुलाई, 2018 को सीएम नीतीश को दोबारा चिट्ठी लिखी कि पांच बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी एम्स के लिए 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।
हालांकि, इसके हफ्ते भर बाद ही जब नड्डा बिहार पहुंचे तो वो नीतीश सरकार की तारीफों के पुल बांधते नजर आए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार ने पिछले एक दशक में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, जबकि हकीकत यह है कि खुद उनका मंत्रालय पिछले तीन साल से एम्स की स्थापना के लिए जमीन मांग रहा है पर बिहार सरकार टाल-मटोल का रवैया अपना रही है। बता दें कि जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाई तब दावा किया गया कि अब डबल इंजन (राज्य और केंद्र) की सरकार है जो राज्य में विकास से जुड़ी योजनाओं को समय पर मंजिल तक पहुंचाएगी मगर हकीकत आपके सामने है।
2015-16 के बजट में बिहार के अलावा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और असम के लिए नए एम्स की घोषणा की गई थी। वित्तीय वर्ष 2017-18 में गुजरात और झारखंड में नए एम्स का ऐलान किया गया। इससे पहले 2014-15 के बजट में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और यूपी के पूर्वांचल में चार नए एम्स की घोषणा की गई थी।