बिहार विधानसभा ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से संबंधित बिल को मंजूरी दे दी है। अब राज्य भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति यह आयोग कर सकेगा। हालांकि विधान मंडल से बिल पास होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और जब इस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर हो जाएंगे तब आयोग का गठन हो जाएगा। बिल पर चर्चा के दौरान सदन में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि असिस्टेन्ट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में अगर कोई भी गड़बड़ी करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों पर अब विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिये ही नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि अच्छे व सुयोग्य शिक्षाविदों को जगह दी जाएगी।  यूजीसी के नियम, योग्यता व अर्हता के आधार पर ही आयोग असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली करेगा। फिलहाल बिहार लोक सेवा आयोग असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पदों पर इंटरव्यू लेकर नियुक्ति कर रहा है।

सदन में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय व कॉलेजों में 3364 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए बीपीएससी ने सितंबर, 2014 में प्रक्रिया शुरू की थी। अभी तक केवल 565 पदों पर नियुक्ति हो सकी है। ढाई साल में सिर्फ मैथिली में 49, अंग्रेजी में 166, दर्शनशास्त्र में 136 और अर्थशास्त्र में 214 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि उच्च शिक्षा को बेहतर किया जाए। इसी को लेकर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया जा रहा है। इस आयोग से नियुक्ति में यूजीसी की गाइडलाइन को माना जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री के विजन को पूरा किया जाएगा।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार और भाजपा विधायक नंदकिशोर यादव ने सवाल उठाया था कि जब 2006 में  बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा नियुक्ति में धांधली हो चुकी है और उसके बाद सरकार ने आयोग को भंग कर दिया था, फिर दोबारा से सरकार इसका गठन क्यों करना चाहती है। विपक्ष ने कहा कि इससे फिर धांधली की आशंका है। अगर बीपीएससी से नियुक्ति में देरी हो रही है, तो उसे ठीक किया जाए, न कि गलत परिपाटी की शुरुआत की जाए। गौरतलब है कि पहले भी राज्य में विश्वविद्यालय सेवा आयोग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेन्ट प्रोफेसर की नियुक्ति करता रहा है।