बिहार में सरकार और सरकारी विभाग की कार्यप्रणाली भी गजब की है। जिस अधिकारी की दो महीने पहले कोविड की वजह से निधन हो चुका है और वह अब इस दुनिया में नहीं रहा, विभाग के तबादला सूची में उसका भी नाम है। यानी वहां पर स्वर्गवास के बाद भी अफसर सरकारी फाइलों में ड्यूटी पर तैनात माने जाते हैं। जब इस बात का खुलासा हुआ तो विभाग में हड़कंप मच गया। इस चूक पर तुरंत एक्शन पर दिखा विभाग ने तबादला आदेश वापस ले लिया।
पटना के नौबतपुर में प्रखंड कृषि पदाधिकारी के पद पर तैनात रहे अरुण कुमार शर्मा का दो महीने पहले गंभीर रूप से बीमार होने और कोविड की चपेट में आ जाने से निधन हो गया था। मंगलवार को विभाग ने करीब 150 अफसरों की तबादला सूची जारी की। इसमें अरुण कुमार शर्मा का भी नाम था। विभाग ने उनका तबादला भोजपुर के चौगाई प्रखंड कृषि पदाधिकारी के पद पर कर दिया। सूची को देखकर विभाग के लोगों को बड़ी हैरानी हुई। इस बात की चर्चा जब बाहर होनी शुरू हुई तो विभाग में हड़कंप मच गया। विभाग को अपनी चूक का अहसास हुआ तो तुरंत एक्शन में आ गया। फौरन उनका नाम तबादला सूची से हटा दिया गया।
उधर, बिहार के कथित सृजन एनजीओ कोष घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने 4.10 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। निदेशालय ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि एक हजार करोड़ रुपये के सरकारी कोष की हेराफेरी की खबर 2017 में सामने आने के बाद गैर सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड (एसएमवीएसएसएल) के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर रहा है।
जांच एजेंसी ने बयान जारी कर बताया कि कुर्क की गयी संपत्ति में एक दर्जन फ्लैट हैं जो बिहार के भागलपुर, पटना एवं उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित है जिनकी कीमत तीन करोड़ नौ लाख रुपये है। बयान में कहा गया है कि इन फ्लैटों के अलावा पांच भूखंड एवं घर भी कुर्क किये गये हैं जो भागलपुर, सीतामढी (बिहार) एवं देवघर (झारखंड) में स्थित है और इनकी कीमत 87 लाख रुपये है।
