बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र इंडिया गठबंधन के मुख्य घटक – कांग्रेस और राजद – की ‘संतोष’ की नीति से सीटों को लेकर सहमति बनती दिखाई दे रही है। इससे घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव की संभावना कम हो गई है, और सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने और जीतने की बात कह रहे हैं।
बिहार में इस वर्ष अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इंडिया गठबंधन में पहले से कांग्रेस, राजद, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और वीआईपी जैसे दल शामिल हैं। खबर है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा भी गठबंधन का हिस्सा बन सकती है। बिहार की कुल 243 सीटों में 2020 के पिछले चुनाव में राजद ने 144 और कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार भी दोनों दल लगभग इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन घटक दलों की संख्या बढ़ने से यह अब संभव नहीं दिखता। वजह यह है कि इन सभी दलों को संतुष्ट करना भी इन्हीं प्रमुख दलों की जिम्मेदारी है।
सीटें घटाने पर सहमति से अन्य दल संतुष्ट
इसी कारण कांग्रेस और राजद ने अपने हिस्से की कुछ सीटें घटाने पर सहमति जताई है। सूत्रों के अनुसार, दोनों दलों में यह समझ बनी है कि वे पिछले चुनाव की तुलना में इस बार कम उम्मीदवार उतारेंगे। बताया जा रहा है कि राजद इस बार 130–135 सीटों पर, जबकि कांग्रेस 55–60 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। इससे अन्य घटक दलों में भी संतुष्टि देखी जा रही है।
इस संदर्भ में कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि इंडिया गठबंधन की कुछ गोपनीय रणनीतियाँ हैं, जिन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने यह अवश्य कहा कि सभी घटक दल उत्साहित हैं और सीटों के बंटवारे को लेकर कोई गतिरोध नहीं है। साथ ही, उन्होंने विश्वास जताया कि चुनाव परिणाम इस बार बेहतर होगा।
वहीं, राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. नवल किशोर ने कहा कि इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर न तो पहले कोई तकरार थी और न अब है। उन्होंने बताया कि सभी निर्णय आम सहमति से लिए जा रहे हैं।
फिलहाल गठबंधन का मुख्य ध्यान अधिक से अधिक सीटें जीतने पर है, और इसके लिए संयुक्त रूप से एक मज़बूत प्रचार अभियान की रणनीति तैयार की जा रही है।