गिरधारी लाल जोशी

शहीद रतन कुमार ठाकुर का पार्थिव शरीर लेकर जैसे ही कहलगांव एनटीपीसी के हेलीपैड पर हेलीकाप्टर उतरा वैसे ही जबतक सूरज चांद रहेगा तबतक रतन तुम्हारा नाम रहेगा। पाकिस्तान मुर्दाबाद जैसे गगन भेदी नारों से माहौल गूंज उठा। वहीं बेटे और अपने पति के शव को काफिले में आते देख घर वालों के ही आंसू नहीं थमे बल्कि पूरे ग़ांव की आंखें नम थी। रतन ठाकुर गुरुवार को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए उन 44 सीआरपीएफ जवानों में एक था जिसने देश के खातिर अपनी जान दे दी। यह भागलपुर के रतनगंज ग़ांव का रहने वाला था। इसके पिता निरंजन ठाकुर ने फिर दोहराया कि मैं अपने दूसरे बेटे को भी देश के लिए फ़ौज में भेजने तैयार हूं।

उसका शव दिल्ली के पालम से पटना हवाई जहाज से सुबह लाया गया। जहां बिहार के दोनों शहीद जवानों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि दी। और ग्यारह ग्यारह लाख रुपए की मदद राशि का ऐलान किया। फिर शव को उनके पैतृक गांव ले जाने के लिए हेलीकाप्टर से कहलगांव लाया गया। वहां से उनके पैतृक ग़ांव रतनगंज सड़क रास्ते ले जाया गया। जहां एक ओर ग़ांव पहुंचते ही बंदेमातरम और शहीद रतन ज़िंदाबाद के गगनभेदी नारे लगने लगे। वहीं उनके घर से लगातार रोने की चीत्कार सुनाई पड़ रही थी। शनिवार को उनका कहलगाँव गंगानदी घाट पर शाम चार बजे करीब राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुखग्नि उनके चार साल के बेटे कृष्णा ने दी।

इस मौके पर भागलपुर के आयुक्त राजेश कुमार , जिलाधिकारी प्रणब कुमार, आईजी विनोद कुमार, डीआईजी विकास वैभव ,एसएसपी आशीष भारती समेत जवान और हजारों लोगों का जन सैलाब ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए अश्रुपूर्ण विदाई दी। राजनैतिक दलों के नेता कांग्रेस के कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह , भाजपा के शाहनबाज हुसैन सरीखे भी मौजूद थे। मातमी धुन बजाकर पुलिस के जवानों ने अपने शस्त्र झुकाकर नम आंखों से अंतिम विदाई दी। शहीद रतन ठाकुर को अंतिम विदाई देने में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बिहार के काबीना मंत्री रामनारायण मंडल, सांसद शैलेश कुमार, कहकशां परवीन भी पहुंचे थे। इससे पहले शुक्रवार की शाम केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और अर्जित चौबे भी उनके परिवार को ढांढस बंधाने आए थे।