चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा तीन साल की सजा मिलने के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि वह सामाजिक न्याय के लिए जान भी दे सकते हैं। आरजेडी प्रमुख ने ट्वीट किया, ‘बीजेपी का सिंपल सा नियम है ‘हमें फॉलो करो नहीं तो हम तुम्हें ठिकाने लगा देंगे।’ मैं सामाजिक न्याय, सद्भाव और समानता के लिए खुशी-खुशी जान भी दे सकता हूं।’ लालू के इस ट्वीट पर यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए कहा कि उन्हें समानता की बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जब मुख्यमंत्री बनने और बनाने की बात आती है तब उन्हें राबड़ी देवी, तेज प्रताप और तेजस्वी ही दिखाई देते हैं और लोग नहीं दिखते। वहीं कुछ लोगों ने यह कहा है कि लालू के पास जेल में मोबाइल और इंटरनेट है। इसके अलावा कुछ लोग कह रहे हैं कि जेल का ताला टूटेगा और गरीबों का मसीहा बाहर निकलेगा।
Rather than practising BJP’s Simple Rule – “Follow us or We will Fix you”. I will die happily fixing myself for Social justice, harmony & equality.
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) January 6, 2018
equality जब मंत्री या मुख्यमंत्री बनने की बात आती है तो राबड़ी , तेज प्रताप और तेजस्वी ही मिलते हैं , और लोग नहीं दिखाई देते
— k p pandey (@MunnabhaiKpp) January 6, 2018
जेल का ताला टूटेगा
गरीबो का मसीहा छूटेगा । @laluprasadrjd जिंदाबाद— Socialist Ramlakhan (@10yadavram) January 6, 2018
Looks like this guy has Mobile , Internet n twitter in Jail
— Narayan Mallapur (@mallapur123) January 6, 2018
सीबीआई अदालत ने लालू को साढ़े तीन साल की सजा और 5 लाख का जुर्माना लगाया है। देवघर ट्रेजरी मामले में फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनाई गई है। अब लालू यादव को इस अदालत से जमानत नहीं मिल सकेगी। उन्हें जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। अगर लालू प्रसाद यादव 5 लाख रुपये का जुर्माना नहीं चुकाते तो उन्हें 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इस मामले में कुल 16 लोगों को दोषी ठहराया गया था। लालू के अलावा दोषी फूल चंद, महेश प्रसाद, बाके जुलियस, सुनील कुमार, सुशील कुमार, सुधीर कुमार और राजाराम को भी 3.5 साल कैद व 5 लाख रुपये की सजा दी गई है।
वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था और लगभग 21 साल बाद इस मामले में गत 23 दिसंबर को फैसला आया। सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को लालू प्रसाद समेत तीन नेताओं, तीन आईएएस अधिकारियों के अलावा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, पशु चिकित्साधिकारी सुबीर भट्टाचार्य तथा आठ चारा आपूर्तिकर्ताओं सुशील कुमार झा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सुनील गांधी तथा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को अदालत ने दोषी करार देकर जेल भेज दिया था।