Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान जल्द होने वाला है। इसके साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जनता को लुभाने के लिए अपने खजाने खोल दिए हैं और कई नई योजनाओं के जरिए महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस किया है। महिला वोट बैंक पहले ही एनडीए के लिए अहम माना जाता रहा है और सीएम नीतीश युवाओं के वोट बैंक को भी अपने पाले में लाने के प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, स्नातक और 12वीं पास कर चुके बेरोजगार युवाओं को दो साल तक 1000 रुपये के मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का विस्तार किया गया। इसकी घोषणा सरकार ने 18 सितंबर की थी। इस योजना का फायदा 12 लाख युवाओं को लाभ मिलेगा, तथा सरकार अगले दो वर्षों में इस योजना पर 2,800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने वाली है।
महिलाओं के रोजगार को बल
इसके अलावा महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना अहम है। इसकी पहली किस्त 10,000 रुपये प्रत्येक को 22 सितंबर को सौंपी जाएगी। बाद की किस्तों में 50 लाख अन्य महिला उद्यमी भी इस योजना से लाभान्वित होंगी, और छह महीने में सरकार उनकी व्यावसायिक पहल का आकलन करने के बाद प्रत्येक उद्यमी को 2 लाख रुपये प्रदान करेगी। 50 लाख महिलाओं को दी जाने वाली पहली किस्त से सरकारी खजाने पर 5,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इस योजना की कुल लागत 21,000 करोड़ रुपये है।
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अन्य किन योजनाओं पर है फोकस?
इसके अलावा हाल ही में घोषित अन्य कार्यक्रमों की बात करें तो 1.89 करोड़ उपभोक्ताओं को 125 मेगावाट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए 5,000 करोड़ रुपये, 1.11 करोड़ लाभार्थियों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह करने पर 9,300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय, 16 लाख निर्माण श्रमिकों को 5,000 रुपये प्रति व्यक्ति वस्त्र भत्ता देने के लिए 800 करोड़ रुपये, तथा जीविका, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि अहम है।
सरकार का कितना हो रहा खर्च?
इन सब से सरकार का वार्षिक व्यय 40,000 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। राज्य का वार्षिक राजस्व लगभग 56,000 करोड़ रुपये है, और 2025-26 में इसका वार्षिक बजट 3.2 लाख करोड़ रुपये है। 2025-26 में इसका कर्ज-जीडीपी अनुपात 37% है, जो 2021-22 और 2022-23 में लगभग 30%-32% था। कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने 2022-23 में अपनी राजस्व प्राप्तियों का लगभग 22% ब्याज भुगतान और ऋण चुकौती पर खर्च किया।
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नीतीश कुमार के लिए क्यों अहम है महिला वोट बैंक
साल 2005 में सत्ता में आने के बाद से नीतीश कुमार ने महिला मतदाताओं के बीच अपना समर्थन बड़ी सावधानी से बढ़ाया है, जिससे उन्हें तब से सत्ता में बने रहने में मदद मिली है। इस साल जनवरी तक, बिहार के मतदाताओं में महिलाओं की संख्या 48% है। उनके नेतृत्व में 2006 में बिहार ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित करने वाला पहला राज्य बना।
इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरू की, जिसके तहत नौवीं कक्षा में दाखिला लेने वाली छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए नकद अनुदान दिया जाता है। 2016 में, नीतीश सरकार ने राज्य सरकार की सभी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण की भी घोषणा की। 2018 से, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत लड़कियों को स्नातक की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
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महिला उद्यमियों के लिए खास योजना
महिला उद्यमियों की मदद के लिए यह नवीनतम कदम इसी कड़ी में उठाया गया है और सरकार ने 22 सितंबर को होने वाले उस कार्यक्रम को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है जिसमें उन्हें धनराशि सौंपी जाएगी। ग्रामीण विकास विभाग ने गुरुवार को सभी 38 जिलाधिकारियों (डीएम) को लिखे पत्र में कहा कि 22 सितंबर को सुबह 11 बजे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीविका स्वयं सहायता समूहों में नामांकित 50 लाख महिला उद्यमियों को 10-10 हज़ार रुपये की धनराशि हस्तांतरित करेंगे। यह कार्यक्रम ब्लॉक और ग्राम स्तर तक लाइव चलाया जाएगा।
इतना ही नहीं, जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जीविका कार्यकर्ता इस कार्यक्रम को “एक उत्सव की तरह मनाए। इस योजना को विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उस वादे के जवाब के रूप में देखा जा रहा है जिसमें प्रत्येक परिवार की एक महिला के लिए 2,500 रुपये मासिक भत्ते की “माई बहन” योजना शुरू करने की बात कही गई है।
बेरोज़गार युवाओं को मासिक भत्ता देने वाली इस योजना के तहत पहले से ही 18 से 25 साल के बीच के 8.19 लाख लाभार्थियों, जिन्होंने 12वीं पास कर ली है, को दो साल तक 1,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे थे, लेकिन अब इस विस्तारित योजना में 20 से 25 साल के बीच के अनुमानित 4 लाख स्नातकों को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना अक्टूबर 2016 में शुरू की गई थी।
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महिलाओं के लिए योजना का विस्तार
इस अहम योजना के विस्तार की घोषणा करते हुए नीतीश कुमार ने 18 सितंबर को एक्स पर कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना… का विस्तार किया गया है। इस योजना का लाभ जो अभी इंटरमीडिएट पास युवाओं को दिया जा रहा था, अब कला, विज्ञान और वाणिज्य विषयों में उत्तीर्ण बेरोजगार स्नातक युवाओं को भी दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि लाभार्थी इस भत्ते का उपयोग “आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करने” और “प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी” के लिए करेंगे।
आरजेडी ने नीतीश के ऐलान पर क्या कहां?
हालांकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इन बड़े पैमाने पर की गई घोषणाओं की विपक्ष ने आलोचना की है। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले सामाजिक सुरक्षा पेंशनभोगियों, किसानों, महिलाओं, मजदूरों और छात्रों को डीबीटी की घोषणा करने का एनडीए सरकार का फैसला विकास के मोर्चे पर उसकी विफलताओं की स्वीकृति है। दो दशक पुरानी सरकार से घोषणाएं करने की नहीं, बल्कि रोज़गार, पलायन, गरीबी और न्यूनतम कृषि-औद्योगिक विकास के मोर्चे पर अपनी विफलताओं का जवाब देने की उम्मीद की जाती है… राजद जैसे विपक्षी दलों को वादे और घोषणाएँ करने का अधिकार है… इसके दबाव में, एनडीए सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए घोषणाएँ कर रहा है।
हालांकि जेडी(यू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने कहा कि ये योजनाएं सरकार की “जनता के प्रति प्रतिबद्धता” को दर्शाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में, लोगों के लिए कल्याणकारी उपाय शुरू करना सरकार का कर्तव्य है। इन्हें खैरात कहना उचित नहीं है, ये लोगों की उम्मीदों पर सरकार की प्रतिक्रिया है। आरजेडी जिन योजनाओं की बात कर रही है, वे सभी केंद्र या एनडीए शासित राज्य सरकारों द्वारा पहले ही सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी हैं।
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