Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को राजनीति में एंट्री देने की मांग फिर से की है। इसके बाद जेडीयू के नेताओं ने भी उनकी बात का समर्थन किया है। शुक्रवार को पटना में आरएलएम की रैली में कुशवाहा ने कहा, “अगर निशांत कुमार तुरंत राजनीति में प्रवेश नहीं करते हैं, तो जेडीयू को विधानसभा चुनावों में नुकसान होगा।”

नीतीश के एक करीबी सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि निशांत राजनीति में आने का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें अपने पिता की मंजूरी चाहिए। सूत्र ने आगे कहा, “हम वंशवाद को बढ़ावा न देने के मुख्यमंत्री के रुख से वाकिफ हैं, लेकिन हमें व्यावहारिक होना होगा। अगर जेडीयू को एक पार्टी के रूप में जिंदा और फलते-फूलते रहना है, तो निशांत को राजनीति में लाना होगा। सिर्फ वही कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर सकते हैं और पार्टी को मजबूती से खड़ा कर सकते हैं।”

इतना ही नहीं जेडीयू के सूत्रों ने बताया कि निशांत राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी नेताओं की रचनाओं को पढ़ने के अलावा प्रमुख सरकारी फैसलों और राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर रखते हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि जेडीयू नेताओं का एक वर्ग “सीएम पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है कि वे निशांत के राजनीति में प्रवेश को हरी झंडी दे दें।”

नीतीश कुमार अब पहले जैसे नेता नहीं रहे- जेडीयू नेता

जेडीयू के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि नीतीश के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और पार्टी संगठन और शासन पर इसके प्रभाव की वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं में पार्टी के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। जेडीयू नेता ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब पहले जैसे नेता नहीं रहे। हम यह भी जानते हैं कि कैसे कुछ नौकरशाह अहम नीतिगत फैसलों पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं। अब जब चुनाव होने वाले हैं, तो हमें निशांत से यह मैसेज चाहिए कि जेडीयू की उत्तराधिकार योजना तैयार है।”

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एक अन्य जेडीयू नेता ने कहा कि पार्टी राज्य में अपनी जमीन खो रही है। उन्होंने कहा, “एनडीए गठबंधन ने 100 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं की हैं। इन सभाओं में कई एनडीए समर्थक शामिल हुए। हमने देखा है कि हमारी रैलियों में दलितों और युवाओं की उपस्थिति कम हुई है। जेडीयू अपनी पकड़ खो रही है। ऐसे में निशांत पार्टी को मजबूती दे सकते हैं।”

वंशवादी राजनीति के खिलाफ नीतीश कुमार का रुख

पार्टी के नेता ने यह भी कहा कि वंशवादी राजनीति के खिलाफ नीतीश का रुख निशांत के राजनीतिक कदम उठाने के सवाल पर उन्हें रोक रहा है। नेता ने कहा, “उनसे कई बार निशांत के राजनीति में आने के बारे में पूछा गया है। यहां तक कि नालंदा (नीतीश का गृह क्षेत्र) के कुछ लोगों ने भी निशांत को हरनौत से चुनाव लड़ाने का विचार रखा था, जहां से नीतीश कुमार ने अपनी चुनावी यात्रा शुरू की थी। लेकिन निशांत के राजनीति में आने का फैसला पूरी तरह से नीतीश पर निर्भर है।”

जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने क्या कहा था?

जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने हाल ही में एक न्यूज चैनल से कहा कि हालांकि वह व्यक्तिगत रूप से चाहते थे कि निशांत पार्टी में शामिल हों, लेकिन आखिरी फैसला केवल नीतीश कुमार को ही लेना है। निशांत कथित तौर पर इस साल जनवरी से ही पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होने के इच्छुक थे, जब उन्होंने पहली बार मीडिया के सामने आकर लोगों से अपने पिता का समर्थन करने की अपील की थी।

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