द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक हफ्ते पहले ही रिपोर्ट किया गया था कि बिहार के बक्सर जिले में एक आरटीआई कार्यकर्ता के 14 साल के बेटे को पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत जेल में बंद कर रखा है। अब स्टेट जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने लड़के को नाबालिग घोषित किया है और उसे जमानत देने का आदेश दिया है। जमानत के आदेश शुक्रवार को हुए थे और नाबालिग सोमवार को अपने घर वापस आ सकता है।

बक्सर एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने भी यह पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं, कि क्या स्थानीय पुलिस लड़के को व्यस्क घोषित करने के लिए जिम्मेदार है या नहीं? बता दें कि पुलिस ने लड़के को बीती 29 फरवरी को उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब वह अपने 10वीं कक्षा के बोर्ड के एग्जाम देकर घर लौट रहा था। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में लड़के के पिता ने बताया कि “ऐसा लगता है कि एक लंबा बुरा वक्त बीतने के बाद यह एक सपने जैसा लगता है। आखिरकार, मेरा बेटा मेरे पास आ जाएगा।”

उन्होंने बताया कि “मैं एक आरटीआई कार्यकर्ता हूं और मेरे सवालों से खासकर मनरेगा जॉब कार्ड और फसल खरीद के मामले में सवालों से कुछ लोगों को परेशान होती है, इसलिए मेरे बेटे को परेशानी उठानी पड़ी।”

लड़के के पिता ने बताया कि पुलिस द्वारा उनके बेटे को गिरफ्तार करने से उसका स्कूल में एक साल बर्बाद हो गया है। उसने हाईस्कूल की परीक्षा में जो 5 पेपर दिए थे, उनमें उसके 83 फीसदी नंबर आए हैं। उसे एक पेपर और देना था लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं लड़के के वकील लल्लन पांडे ने बताया कि हमें बेहद खुशी है कि जुवेनाइल बोर्ड से हमारे मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुना और लड़के को नाबालिग घोषित किया है। स्कूल अथॉरिटी ने भी यह घोषित किया है कि लड़का अप्रैल 2006 में पैदा हुआ था।

आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उसका बेटा गांव के दो अन्य लोगों के साथ बाइक पर बैठकर जा रहा था, जहां बक्सर के राजपुर इलाके में पुलिस ने बाइक को रोका। पुलिस का दावा है कि लड़के के पास एक देशी तमंचा और दो अन्य के पास से जिंदा कारतूस मिले थे।

आरटीआई कार्यकर्ता स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहे हैं और उनका आरोप है कि इसी वजह से उनके बेटे को पुलिस के साथ मिलकर फंसाया गया। आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि वह बिहार सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं जैसे सात निश्चय, मनरेगा और फसल की खरीद में हुई कई धांधलियों का खुलासा कर चुके हैं।