बिहार के बक्सर जिले में जिला न्यायालय के कथित तौर पर एक प्रशासनिक आदेश के बाद न्यायिक अफसरों और कोर्ट स्टाफ ने सर्किट हाउस के बगल स्थित एक मंदिर की साफ-सफाई की। हालांकि इस आदेश को बाद में बक्सर कोर्ट के जिला न्यायाधीश ने वापस ले लिया, जिसमें बक्सर कोर्ट के सभी न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट स्टाफ को निर्देश दिया गया था।
इस आदेश में पहले कहा गया था, “जैसा कि निर्देश दिया गया कि माननीय चीफ जस्टिस, पटना हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में न्यायालयों के सभी पीठासीन अधिकारी अपने संबंधित न्यायालय के कर्मचारियों के साथ सर्किट हाउस के बगल में स्थित मंदिरों की सफाई 9.1.2022 की सुबह करेंगे, अगर वे अपनी-अपनी अदालत की विशेष बैठक में शामिल नहीं हैं।
अब आदेश वापस लेते हुए कहा गया है कि संबंधित नोटिस बक्सर जिला न्यायाधीश के निर्देशों के तहत जारी नहीं किया गया था और उक्त नोटिस जारी करने में कुछ गड़बड़ी प्रतीत होती है।
आदेश वापस लेने वाली नोटिस में लिखा है, “प्रभारी अधिकारी (प्रशासन) द्वारा जारी नोटिस दिनांक 06/01/2022, जिसमें सिविल कोर्ट, बक्सर जजशिप के सभी न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को मंदिरों की सफाई के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था, को तत्काल वापस लिया जाता है। माननीय उच्च न्यायालय, पटना के मुख्य न्यायाधीश द्वारा ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया था। उपरोक्त नोटिस जारी करने में कुछ गड़बड़ी प्रतीत होती है। उक्त नोटिस भी अधोहस्ताक्षरी के निर्देश के तहत जारी नहीं किया गया था। मामले की जांच की जा रही है।”
इस बीच स्थानीय मीडिया के मुताबिक बक्सर की अपनी यात्रा के दौरान, चीफ जस्टिस ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश से सर्किट हाउस और आसपास के क्षेत्रों के मंदिर परिसर में गंदगी पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि इसकी सफाई करवाई जाए। इसके लिए उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सर्किट हाउस, गेस्ट हाउस और अन्य आसपास के क्षेत्रों की सफाई सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया था।
