Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और जेडीयू लगातार चुनाव प्रचार को विस्तार दे रहे हैं और गठबंधन की दोनों ही पार्टियों यानी जेडीयू-बीजेपी दोनों के लिए ही कोसी का क्षेत्र काफी अहम है। कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है, लेकिन इस नदी से लगने वाले क्षेत्र की 12 सीटें जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के लिए राजनीतिक लिहाज से गेम चेंजर मानी जाती हैं।

कोसी क्षेत्र के अंतर्गत निर्मली, पिपरा, सुपौल, फुलपरास, महिषी और सिमरी बख्तियारपुर, बेलदौर, आलमनगर, बिहपुर, गोपालपुर (भागलपुर), रूपौली (पूर्णिया) और बरारी (कटिहार) की 12 सीटों पर प्रभावशाली अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) ने पिछले चुनावों में इस बेल्ट को जेडीयू के लिए अनुकूल बना दिया था।

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2020 के चुनाव में लगा था एनडीए को झटका

2020 में मगध क्षेत्र की 26 सीटों पर पहले चरण के मतदान में विपक्ष को फायदा हुआ था। इसमें एनडीए दो को छोड़कर सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। जेडीयू ने इनमें से 11 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि बीजेपी ने 10 पर उम्मीदवार उतारे। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि बीजेपी ने अपने कोटे की तीन सीटों पर जीत हासिल की।

सत्ताधारी गठबंधन के लिए स्थिति कठिन होती दिख रही थी लेकिन फिर उसने उत्तर बिहार के कोसी और मिथिलांचल क्षेत्रों में विपक्ष को पीछे छोड़ दिया। मिथिलांचल की 86 सीटों में से एनडीए ने 55 जबकि महागठबंधन ने 27 सीटें जीतीं। इसके अलावा अन्य चार सीटें असदुद्दीन और तत्कालीन अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) जैसी अन्य पार्टियों ने जीतीं।

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कोसी ने बचाई थी नीतीश की सरकार

कोसी में गठबंधन ने 11 सीटें जीतीं, जिनमें से 10 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के खाते में गईं थी। आरजेडी केवल सिमरी बख्तियारपुर ही जीत पाई। एक जेडीयू नेता ने कहा कि 2020 में एक समय ऐसा लग रहा था कि महागठबंधन सरकार बनाएगा लेकिन उत्तर बिहार ने एनडीए गठबंधन को बचा लिया, जिसने कोसी और मिथिलांचल क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा सीटें जीतीं।

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कोसी के निर्वाचन क्षेत्रों में से जेडीयू ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में निर्मली, सुपौल, फुलपरास, बेलदौर, आलमनगर और रूपौली – इस क्षेत्र के आधे विधानसभा क्षेत्रों पर जीत हासिल की है। कोसी के निर्वाचन क्षेत्रों में से जेडीयू ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में निर्मली, सुपौल, फुलपरास, बेलदौर, आलमनगर और रूपौली पर जीत हासिल की।

खास जिन 12 विधानसभा सीटों से कोसी बहती है, वहां अधिकतर मतदान नीतीश कुमार और उनके सहयोगियों के पक्ष में हुआ है। 2015 में जब जेडीयू ने आरजेडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, तो गठबंधन ने भारी जीत हासिल की थी, जिसमें सीएम की पार्टी ने आठ और आरजेडी ने चार सीटें जीती थीं। बीजेपी आठ सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।

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साल 2010 में जेडीयू-BJP गठबंधन ने सामूहिक रूप से 11 सीटें जीती थीं, जिसमें जेडीयू को आठ बीजेपी को तीन और आरजेडी को एक सीट मिली थी। उत्तर बिहार हर साल बाढ़ की चपेट में आता है, लाखों लोग फसल बर्बाद होने और मवेशियों की मौत का सामना करते हैं, और हवाई मार्ग से गिराए गए भोजन पर निर्भर रहने को मजबूर होते हैं। जब वे मलबे को समेटकर अपना जीवन फिर से संवारते हैं, तो कहानी खुद को दोहराती है। स्थानीय जदयू नेता यहाँ यह बात सफलतापूर्वक फैलाने में कामयाब रहे हैं कि बाढ़ राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं है, क्योंकि कोसी नदी का कहर नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी के कारण होता है, जो ऊँचाई पर स्थित है।

क्षेत्र की समस्याओं पर क्या बोले जेडीयू नेता

एक जदयू नेता ने कहा कि यह भारत-नेपाल संबंधों का मामला है और इसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। क्षेत्र के लोग जानते हैं कि नीतीश सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकती। यह दावा करते हुए कि नीतीश बाढ़ प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील और चिंतित हैं। जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि नीतीश जी ने घोषणा की है कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों का राज्य के बजट पर पहला अधिकार है।

पूर्व आरजेडी आरजेडी विधायक यदुवंश कुमार ने स्वीकार किया कि कोसी क्षेत्र की सामाजिक संरचना जेडीयू के पक्ष में है और क्षेत्र के लोग राज्य सरकार की योजनाओं और पुनर्वास का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के साथ बने रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि आगामी चुनाव अलग होंगे। उन्होंने कहा कि ओबीसी के बीच नीतीश की लोकप्रियता घट रही है और इसका असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है।

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