बिहार में नई सरकार का गठन हो चुका है। एक बार फिर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई गई है। जिन मंत्रियों ने इस बार नीतीश कैबिनेट में अपनी जगह बनाई है, उन्हें चुनने के पीछे खास कारण है। जातियों वाले बिहार में जातियों पर ही फिर फोकस किया गया है। जिन मंत्रियों ने इस बार शपथ ली है, उनके जरिए कई वर्ग को साधने का काम किया गया है।

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार सिर्फ सीएम की हैसियत से इस समय बिहार में जरूरी नहीं हैं, उनकी कुर्मी जाति भी उन्हें यहां की सियासत में हमेशा सक्रिय रखती है। इस समय बिहार में कुर्मी जाति के कुल 37 लाख से ज्यादा वोटर हैं, वोट शेयर में ये 2.87 फीसदी बैठता है।

सम्राट चौधरी

बिहार में डिप्टी सीएम बने सम्राट चौधरी बीजेपी के एक कद्दावर नेता हैं। वे कुशवाहा (कोईरी) जाति से आते हैं। बिहार में इस जाति के 4.21 फीसदी वोटर हैं जो संख्या के लिहाज से 55 लाख से भी ज्यादा बैठते हैं।

विजय कुमार सिन्हा

बिहार के दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा भूमिहार समाज से आते हैं। बिहार की राजनीति में उनकी संख्या 2.86 प्रतिशत है, यानी कि 37 लाख के करीब उनकी उपस्थिति है।

विजय कुमार चौधरी

जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी भी भूमिहार समाज से आते हैं। ऐसे में इस नई सरकार ने इस वर्ग के दो कद्दावर नेताओं को अपनी कैबिनेट में जगह दी है। 1982 से ही विजय कुमार राजनीति में सक्रिय चल रहे हैं।

बिजेंद्र प्रसाद यादव

जेडीयू के ही बिजेंद्र प्रसाद यादव भी नीतीश सरकार में मंत्री बने हैं। वे बिहार की सबसे निर्णायक जाति यादव समाज से आते हैं। इस वर्ग की आबादी 14.26 प्रतिशत बैठती है। संख्या के लिहाज से बिहार में यादव समाज 1 करोड़ 86 लाख से ज्यादा है।

प्रेम कुमार

बीजेपी नेता प्रेम कुमार ने भी नई नीतीश सरकार में शपथ ली है। वे इस बार सातवीं बार विधायक बनने में सफल रहे हैं। वे बिहार के कहार समाज से आते हैं जिनकी आबादी 1.6 प्रतिशत है। संख्या के लिहाज से वे 21 लाख के करीब बैठते हैं।

श्रवण कुमार

जेडीयू विधायक श्रवण कुमार भी नीतीश कुमार की तरह कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं। 1995 से लगातार ही वे विधायक बनते आ रहे हैं। नालंदा में उनकी सियासत और लोकप्रियता आज भी कायम चल रही है।

संतोष कुमार सुमन

जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन भी नीतीश कैबिनेट का हिस्सा हैं। वे अनुसूचित जाति से आते हैं जिनकी सियासत बिहार में काफी निर्णायक मानी जाती है। वोट शेयर के लिहाज से वे 19.65 फीसदी हैं जो संख्या में 2 करोड़ से भी ज्यादा बैठते हैं।

सुमित कुमार सिंह

बिहार के इस कैबिनेट में राजपूत समुदाय से आए सुमित कुमार सिंह को भी मौका दिया गया है। वे निर्दलीय ही चुनाव लड़े थे और चकाई से बड़ी जीत दर्ज की थी। बिहार में राजपूत समाज 3.45 फीसदी है जो संख्या के लिहाज से 45 लाख बैठता है।

अब ये नई कैबिनेट बता रहा है कि इस बार फोकस पिछड़े, अति पिछड़े वोटर पर ज्यादा रहने वाला है। जिस तरह से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ है, उसने भी एनडीए की रणनीति साफ बता दी है।