आइएएस अधिकारी की ओर से सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश मोतीस कुमार सिंह की अदालत में अर्जी दी गई थी, कि पटना हाईकोर्ट में इनके खिलाफ मामले को रद्द करने से संबंधित याचिका दायर की गई है। इसलिए आगे की कार्रवाई रोक दी जाए और इन्हें अग्रिम जमानत देने की अपील की गई। मगर विशेष अदालत ने अर्जी को खारिज करते हुए गिरफ्तारी का गैर जमानतीय वारंट जारी किया है।
इनके साथ सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया और इनके पति अमित कुमार के खिलाफ भी वारंट जारी किया है। ये अगस्त 2017 में घोटाला उजागर होने के साथ ही दोनों फरार हैं। ये दोनों सृजन समिति की संस्थापक मनोरमा देवी के बेटे-बहू हैं। मनोरमा देवी की मौत फरवरी 2017 में हो चुकी है। यह घोटाला 2004 से ही चल रहा था।
इस दौरान आठ आइएएस डीएम और इतने ही डीडीसी पदस्थापित हुए। सभी सृजन पर मेहरबान थे। ज़िले के गरीबों के विकास के लिए सरकार के भेजे सैकड़ों करोड़ रुपए सरकारी कोष से सृजन के बैंक खाते में भेज दिए गए। वहां से तमाम रकम हड़प ली गई। सीबीआआइ इस घोटाले की अगस्त 2017 से जांच कर रही है।
आइएएस वीरेंद्र यादव और अन्य के खिलाफ सीबीआइ ने 11ए /2017 को एफआइआर दर्ज की थी। जिसमें 2019 में आरोपपत्र दाखिल किया गया। 17 नवंबर 2021 को फिर पूरक आरोपपत्र भी अदालत में सीबीआइ ने दायर किया है। जिसमें नजारत शाखा के 21 करोड़ 95 रुपए से ज्यादा के दो चेक के जरिए सृजन के खाते में स्थानांतरित किया गया। जिन चेकों पर इनके दस्तखत हैं। ये ओरियंटल बैंक के चेक है। जिसे सीएफएसएल जांच के लिए हैदराबाद भेजा था। जिसमें इनके दस्तखत होने की पुष्टि हुई थी।
इस मामले में दाखिल आरोपपत्र में इनके अलावे बैंक अधिकारी नवीन कुमार राय, ज्ञानेंद्र कुमार,विश्वनाथ दत्त, एनवी राजू, बंशीधर झा, सृजन की प्रबंधक सरिता झा, अध्यक्ष शुभलक्ष्मी प्रसाद भी है। जिन्हें सीबीआइ ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।