बिहार में आगामी विधान परिषद चुनाव में राजद और कांग्रेस मिलकर एनडीए से चार सीटें झटकने को तैयार हैं। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी विधान परिषद में भेजे जा सकते हैं। बता दें कि जदयू के 6 एमएलसी मोहम्मद हारुन रशीद, अशोक चौधरी, राज्य सरकार में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मंत्री पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता और हीरा प्रसाद बिंद का कार्यकाल पूरा होने वाला है। वहीं भाजपा के एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह, संजय प्रकाश और राधा मोहन शर्मा भी अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं।
बिहार विधानसभा में 80 सीटों के साथ राजद उक्त एमएलसी सीटों में से तीन पर कब्जा कर सकती है। वहीं कांग्रेस 27 विधायकों के साथ एक एमएलसी सीट जीत सकती है। जेडीयू 70 सीटों के साथ 3 और भाजपा 53 सीटों के साथ 2 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। बिहार में विधान परिषद चुनाव के लिए गुरुवार से नामांकन शुरू हो गया है और यह 25 जून तक जारी रहेगा।
राजद से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हमारी पार्टी एक ओबीसी उम्मीदवार, एक ऊंची जाति के उम्मीदवार और एक मुस्लिम उम्मीदवार की नीति के साथ चुनाव में जाएगी। ओबीसी टिकट के लिए तेज प्रताप यादव और अनिरुद्ध यादव में से किसी एक को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। तेज प्रताप यादव के एमएलसी चुनाव में उतरने की बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि राजद नहीं चाहती कि तेज प्रताप यादव का आगामी विधानसभा चुनाव में एश्वर्या से सामने हो। बता दें कि तेज प्रताप और एश्वर्या के बीच तलाक की प्रक्रिया चल रही है।
राजद की तरफ से दूसरे उम्मीदवार के रुप में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नाम की चर्चा है। बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केंटिंग यूनियन लिमिटेड के चेयरमैन सुनील सिंह और मुस्लिम चेहरे के लिए फैसल अली के नामों पर विचार चल रहा है।
जदयू सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पार्टी दलित, मुस्लिम और एक EBS उम्मीदवार के नामों पर विचार करेगी। एससी नेता और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को एमएलसी का टिकट मिलना तय माना जा रहा है।
अशोक चौधरी के अलावा नवीन आर्या, अरविंद निषाद और पूर्व राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन को विधान परिषद भेजा जा सकता है। जदयू नेताओं के अनुसार, एक कुशवाहा नेता भी उम्मीदवारी की दौड़ में है।
भाजपा के संजय मयूख को दोबारा विधान परिषद भेजा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, दलित नेता और पूर्व सांसद हरि मांझी और जनक चामर में से किसी एक नेता को दूसरे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा जा सकता है।