Bihar Hooch Tragedy: सारण में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की आधिकारिक संख्या (Saran hooch toll) 38 हो गई है। खबर के मुताबिक सारण में 15 और मौतें हो गई है। वहीं बेगूसराय और सीवान में दो-दो लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत चुकी है। राज्य में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 84 पहुंच गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले में बिहार सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। वहीं विपक्षी पार्टियां सदन के भीतर और बाहर सरकार पर लगातार हमला कर रही है।

बिहार सरकार ने इस मामले में तेज कार्रवाई करते हुए कुछ जिले में कई जगह छापेमारी की। पुलिस ने 87 लोगों को गिरफ्तार किया और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम (SIT) गठित की। हालांकि खबरों में सामने आया है कि बेगूसराय में उत्पाद थाने से ही शराब बेची जा रही थी। दूसरी ओर, आंकड़ों में साफ दिखता है कि राज्य में शराबबंदी कानून (Liquor ban law) लागू होने यानी 2016 के बाद से लगातार बुरा हाल है। सबसे खराब स्थिति है कि इस कानून के तहत इतने सालों में दोष साबित होने का दर (Conviction rate) एक फीसदी से भी कम है। शराबबंदी कानून से जुड़े पेंडिंग केस राज्य में सबसे ज्यादा लंबित मामलों में शुमार है।

चौंकाने वाला है Bihar Prohibition and Excise Act का आंकड़ा

बिहार मद्यनिषेध और आबकारी अधिनियम (Bihar Prohibition and Excise Act) के रिकॉर्ड पर एक नजर डालने से पता चलता है कि जमीन पर कानून को अमल में लाना दोष साबित होने के खराब दर और लंबित मामलों (Pending Cases) की बढ़ती संख्या के चलते बहुत बाधित हुआ है। बिहार में जब शराबबंदी कानून लागू हुआ यानी साल 2016 से इस साल अक्टूबर के बीच तक बिहार पुलिस (Bihar Police) और आबकारी विभाग ने 4 लाख मामले दर्ज किए। इन मामलों में लगभग 4.5 लाख लोगों को गिरफ्तार किया। इसमें लगभग 1.4 लाख लोगों पर विभिन्न अदालतों में मुकदमा चलाया गया। जिन लोगों ने मुकदमे का सामना किया उनमें से केवल 1,300 लोगों यानी 1 प्रतिशत से कम को दोषी ठहराया गया। इनमें से केवल 80 सप्लायर या कारोबारी थे। लगभग 900 लोगों को ठोस सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।

Bihar की जेलों में शराबबंदी केस के विचाराधीन कैदियों की भीड़

इंडियन एक्सप्रेस ने साल 2018 में भी बताया था कि कैसे राज्य के हाशिए पर रहने वाले वर्गों ( Marginalised Community) को शराबबंदी कानून के तहत की गई कार्रवाई का खामियाजा भुगतना पड़ा है। शराब पीने वालों की भारी संख्या में गिरफ्तारी और जेलों में क्षमता से अधिक भीड़ से चिंता बढ़ती जा रही है। हालांकि, राज्य सरकार ने पिछले साल अप्रैल में शराबबंदी कानून में संशोधन किया था ताकि पहली बार शराब पीने वालों को 2,000 रुपये से 5,000 रुपये के जुर्माने के साथ छूट दी जा सके।

शराब से जुड़े केस में Court ने तेज की जमानत प्रक्रिया

दूसरी ओर अदालतों ने शराबबंदी के मामलों में जमानत प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसके बावजूद 25,000 से अधिक लोग मुकदमे के पूरा होने के इंताजर में जेल में सड़ रहे हैं। कम दोष साबित होने की दर (Low Conviction Rate) पर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारे पास राज्य में बहुत कम शराबबंदी अदालतें हैं। ट्रायल कोर्ट किसी भी मामले में बाकी लंबित मामलों के बोझ तले दबे होते हैं। अदालतों में गवाहों को लाने में भी समस्याएं रही हैं।”

इन 5 जिले में शराबबंदी कानून के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारी

बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जेएस गंगवार ने शुक्रवार को सारण जहरीली शराब त्रासदी (Hooch Tragedy) और शराबबंदी (Liquor Ban) से संबंधित सवालों पर सवाल उठाने से इनकार कर दिया। पुलिस मुख्यालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में 12 अक्टूबर पटना, रोहतास, नालंदा, बक्सर और भागलपुर की पहचान सबसे अधिक कार्रवाइयों वाले जिले के तौर पर की गई थी। राज्य में शराब की खपत पर नकेल कसने के लिए सितंबर में शुरू किए गए एक विशेष अभियान के बाद से इन पांच जिले में अधिकतम गिरफ्तारियां की गई हैं। पटना जिले में शराबबंदी दौरान अधिकतम गिरफ्तारियां दर्ज कीं, जबकि वैशाली अवैध शराब (30,960 लीटर) की जब्ती में शीर्ष पर रही।

Bihar में 8 राज्यों के 83 शराब कारोबारियों की गिरफ्तारी

दिसंबर की शुरुआत में एक प्रेस नोट में सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य पुलिस ने हरियाणा, झारखंड, यूपी, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश के 83 शराब व्यापारियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, आबकारी विभाग (Excise Department) के एक अधिकारी ने कहा कि अप्रैल 2016 से प्रवर्तन एजेंसियों ने 74,000 से अधिक छापे मारे हैं और 2 करोड़ लीटर से अधिक शराब जब्त की है। इसमें लगभग 80,000 लीटर देशी शराब भी शामिल है। सरकार ने लगभग 70,000 वाहनों को भी जब्त किया है।

CM Nitish Kumar ने सख्ती से दोहराया … पियोगे तो मरोगे

राज्य सरकार को इस जुलाई में एक बड़ा झटका लगा जब पटना हाई कोर्ट ने अगस्त 2016 खजूरबानी जहरीली त्रासदी के सिलसिले में पिछले साल मार्च में गोपालगंज की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 13 लोगों को बरी कर दिया। इसमें 19 लोगों की जान चली गई थी। गोपालगंज की अदालत ने नौ आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उनमें से चार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
गोपालगंज की निचली अदालत के फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले कहा था, ‘पियोगे तो मरोगे (शराब पियोगे तो मर जाओगे)।’यही पंक्ति उन्होंने सारण में जहरीली शराब से होने वाली मौतों के बाद भी दोहराई। मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है।