बिहार के स्वास्थ्य केंद्रों में पैथोलॉजी सेवा के लिए खोले गए निविदा के विवाद ने अब पटना हाई कोर्ट का रुख कर लिया है। यह मामला तब सामने आया, जब राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए टेंडर पर कई आपत्तियां उठने लगीं। इस टेंडर प्रक्रिया में पहले से सेवा दे रही कंपनी पीओसीटी सर्विसेज ने आपत्ति जताई और इसे रद्द करने की मांग की। पीओसीटी ने आरोप लगाया कि टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की गई है और एक विशेष कंपनी को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया जा रहा है।

एल2 के रूप में चयनित कंपनी को जारी किया गया ‘लेटर ऑफ इंटेंट’

दरअसल,बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी द्वारा जारी किए गए इस टेंडर में एल1 की स्थिति में आई कंपनी साइंस हाउस ने टेंडर के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न दरों का उल्लेख किया था, जो कि नियमों के खिलाफ था। इसके अलावा, एक अन्य कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस को एल2 के रूप में चयनित किया गया और उसे ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ जारी किया गया। पीओसीटी सर्विसेज ने हिंदुस्तान वेलनेस की तकनीकी योग्यता पर सवाल उठाया है और यह दावा किया है कि इस कंपनी के पास 20 लाख परीक्षण करने की क्षमता नहीं है, जो कि टेंडर की शर्तों में आवश्यक थी।

बिना मान्य तकनीकी योग्यता कोई भी कंपनी आगे नहीं बढ़ सकती है

पीओसीटी ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि बिना इस क्षमता के कोई भी कंपनी इस निविदा में योग्य नहीं हो सकती। इसके अलावा, बिहार के वित्तीय नियमों के अनुसार केवल वही कंपनियां आगे बढ़ सकती हैं जिनकी तकनीकी योग्यता पूरी तरह से मान्य हो। पीओसीटी ने हिंदुस्तान वेलनेस की बोली को गैर-अनुपालनीय करार दिया और कहा कि इसे निविदा प्रक्रिया में आगे बढ़ने की अनुमति देना राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ होगा।

23 अक्टूबर को बिहार स्वास्थ्य विभाग ने सात कंपनियों के खोले थे बिड

विवाद और आरोपों के बीच, 23 अक्टूबर को बिहार स्वास्थ्य विभाग ने सात कंपनियों के फाइनेंशियल बिड खोले थे। इन कंपनियों में से छह ने साइंस हाउस के बिड में असमानताएं देखीं, जैसे कि एक ही जगह पर विभिन्न दरों का उल्लेख। इसके बाद जब इस मुद्दे को उठाया गया, तो अधिकारियों ने लगभग डेढ़ घंटे तक स्थिति को नजरअंदाज किया और फिर कहा कि यह मामला टेंडर कमिटी के पास जाएगा। अधिकारियों ने उस समय किसी भी लिखित आपत्ति को स्वीकार नहीं किया, लेकिन ईमेल के माध्यम से आपत्तियां भेजी गईं।

इस मुद्दे पर राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी ने बाद में स्वीकार किया कि साइंस हाउस के बिड में खामियां थीं और उसे निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। इसके बाद हिंदुस्तान वेलनेस को ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ जारी किया गया। अब इस मामले में पटना हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है और न्यायालय का निर्णय इस निविदा प्रक्रिया के भविष्य को तय करेगा।

यह मामला बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में होने वाली संभावित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर सवाल खड़ा करता है। अगर हाई कोर्ट में पीओसीटी की याचिका स्वीकार कर ली जाती है, तो राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक नई प्रक्रिया शुरू हो सकती है।