बिहार सरकार द्वारा 2007 से चल रहा यह सिलसिला इस साल टूट गया। इस साल आम के मौसम में यहां की खास फसल जर्दालु आम बतौर तोहफा बिहार सरकार ने नहीं भेजा है।
हरेक साल सुल्तानगंज के तिलकपुर आम बगीचे के मालिक अशोक चौधरी के यहां से ढाई हजार पैकेट तैयार करा जर्दालु आम दिल्ली कृषि महकमा भेजता था। जिसे बिहार सरकार बतौर तोहफा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत मंत्रियों और खास लोगों को भेजने की परंपरा थी। इस दफा भी तैयारी कराने का आर्डर आया था। और ढाई हजार पैकेट (पांच किलो हरेक पैकेट) के हिसाब से तैयार करने को कहा गया। जो विक्रमशिला ट्रेन से 3 जून को भेजा जाना था।
किसान चौधरी बताते हैं कि मजदूर लगाकर करीब 1200 पैकेट तैयार भी कराया था। मगर कृषि महकमा के एक अधिकारी का फोन आया कि ऊपर से आदेश आया है कि कैंसिल हो गया। नतीजतन ज्यादातर आम सड़ गए । कुछ को आधे दाम पर बाजार में बिक्री करना पड़ा। तो कुछ को जानवरों को खिलाना पड़ा। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हरेक साल मंत्रिमंडल सचिवालय से बाकायदा इस बाबत आर्डर आता था। मगर इस साल इस तरह का कोई आदेश नहीं मिला है।
हालांकि अबकी आम की फसल भागलपुर और आसपास जबर्दस्त है। नौगछिया तेतरी गांव के किसान शंकर राय और मुरारी कुमार बताते हैं कि आम की फसल तो काफी है। मगर बारिश नहीं होने और प्रचंड गर्मी की वजह से फल का साइज बड़ा नहीं हुआ। और आम पेड़ में ही पकने लगे। इस वजह से किसान समय से पहले तोड़ने को मजबूर हो गए। जिसके कारण कीमत भी ढंग की नहीं मिली। भागलपुर का जर्दालु 35-40 और मालदा आम 20 से 25 रुपए किलो उपलब्ध है। इसी को जदयू बहाना बना रही है। दबी जुबान से ये कहते हैं कि आम की फसल उच्च कोटि की नहीं होने की वजह से इसे टाला गया है।
दरअसल जानकर बताते हैं कि बिहार में राजद के साथ जदयू ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाने से ही भाजपा आलाकमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज है। साथ ही उनकी विपक्षी एकता मुहिम कोढ़ में खाज का काम कर रही है। इसी खटास का नतीजा है कि भागलपुर का खास आम जर्दालु की मिठास से इस बार दिल्ली के वीवीआइपी वंचित हैं। यानी स्वाद पर भी राजनीति हावी हो गई।