बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने नेपाल में गंडक बैराज पर मरम्मत का काम रोकने के साथ-साथ लालबकेया नदी पर एक महत्वपूर्ण तटबंध के काम में परेशानी पैदा करने पर चिंता जताई है। राज्य सरकार ने विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है। लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था के अनुसार बिहार सरकार सीमा के दोनों तरफ पर गंडक बैराज की मरम्मत और अन्य जिम्मेदारी उठाती आई है। भारत और नेपाल के हर एक बैराज में 18 गेट हैं।

हालांकि बाढ़ से लड़ने के उपायों के चलते अधिकांश मरम्मत कार्य कर लिए गए हैं। बिहार जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को जून और अक्टूबर में बाढ़ के मौसम के दौरान तटबंध में किसी भी संभावित समस्या के मामले की निगरानी करनी होती है। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारा पूरा विश्वास है कि मामला हल हो जाएगा क्योंकि यह एक स्थानीय मुद्दा है। पिछले 10 दिनों से हमारे कर्मचारियों को पश्चिमी गंडक क्षेत्र की निगरानी करने की अनुमति नहीं दी गई है। कभी-कभी वो कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट मांगते थे। हम समझते हैं कि दोनों तरफ कोरोनो वायरस के कारण सावधानी बरती गई, लेकिन हमारे कर्मचारियों को बाढ़ के मौसम में मरम्मत (और बैराज का) रखरखाव करना पड़ता है।

Bihar, Jharkhand Coronavirus LIVE Updates

मंत्री ने कहा कि चिंता का एक पहलू ये भी है कि नेपाल भारत को नेपाल की ओर से लालबकेया नदी पर 500 मीटर के तटबंध पर मरम्मत कार्य पूरा करने की अनुमति नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल ने हमें मरम्मत और रखरखाव का काम करने की अनुमति दी थी, लेकिन 500 मीटर के निर्णायक चरण में काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हमारी मुख्य चिंता बाढ़ की स्थिति से बचने की है। हालांकि इस तरह के मुद्दों को अतीत में स्थानीय स्तर पर हल किया गया है। उन्होंने हालांकि लॉकडाउन के दौरान पश्चिमी गंडक क्षेत्र में अधिकांश बाढ़ से लड़ने वाले कामों के लिए नेपाल सरकार की सराहना की।

इसी बीच राज्य में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मामले में गंभीर कार्रवाई नहीं करने पर नीतीश सरकार की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मानसून के दस्तक से बिहार के कोसी और गंडक नदी के मैदानी इलाकों के लोग आशंकित हैं। जान-माल, मवेशी का नुकसान हर साल होता आ रहा है, विस्थापन का सामना करते आ रहे हैं लेकिन इस निकम्मी सरकार ने 15 सालों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। भ्रष्टाचार का आलम ये है की यहां चूहे बांध खा जाते हैं।

तेजस्वी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने अभी तक बाढ़ के खतरों को लेकर ना कोई बैठक की और ना ही प्रभावित क्षेत्रों में जाकर तैयारी का जायजा लिया। खानापूर्ति के नाम पर आलीशान बंगले में बैठ बिना मीडिया से बात किए एक प्रेस नोट भेज देंगे। तटबंधों की मरम्मती या नए बैराज को लेकर सरकार कभी गम्भीर नहीं रही।