बिहार में शराबबंदी के बाद भी राज्य में शराब की चोरी-छिपे बिक्री और आपूर्ति को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी इस पर लगाम नहीं कसी जा सकी है। विपक्षी दल भी इसको लेकर सरकार पर लगातार हमले करते रहे हैं। इस बीच बिहार पुलिस ने शराब को पकड़ने के लिए विशेष स्नीफर डॉग की सेवाएं ले रही है।
ये डेयरिंग डॉग्स इतने तेज होते हैं कि पाताल से भी शराब को ढूंढ लाने में सक्षम हैं। इनको खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। शराब होने की जरा सी भी आशंका में ये एक्टिव होकर उसके पीछे लग जाते हैं। इनकी खासियत यह है कि पैक शराब की खेप हो या जमीन के अंदर गाड़कर रखी गई शराब हो, स्नीफर डॉग उसे हर हाल में खोज निकालेंगे। इनक खाने-पीने पर लाखों रुपए का खर्च आता है।
ट्रेंड अल्कोहल स्नीफर डॉग को राज्य के सभी पुलिस रेंज में तैनात किया गया है। लेब्राडोर नस्ल के इन कुत्तों ने अब तक 4211 छापे डाले हैं और करीब 85 हजार लीटर शराब पकड़ी है। इस दौरान इन कुत्तों की मदद से 1069 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। एक कुत्ते की खरीद और प्रशिक्षण पर एक लाख 70 हजार से दो लाख रुपए तक खर्च आता है। बिहार सरकार ने वर्ष 2018 में ऐसे 20 कुत्ते तेलंगाना से खरीदे थे। इन्हें हैदराबाद के इंटीग्रेटेड इंटीलिजेंस ट्रेनिंग एकेडमी (IITA) में बाकायदा नौ महीने तक प्रशिक्षण दिया गया।
इन कुत्तों खास तौर पर बने डॉग फूड खिलाया जाता है, जिसमें बिस्किट और दूसरे आयटम शामिल होते हैं। हर कुत्ते के खाने पर हर महीने पांच हजार रुपए तक का खर्च आता है। बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने शराब पकड़ने वाले कुत्तों को अपने यहां तैनात किया है।
स्नीफर डॉग को जब भी ट्रक या अन्य वाहन पर शराब होने की जानकारी मिलती है वे उसके पास जाकर बैठ जाते हैं और बार-बार भौंकते रहते हैं। इससे एक खास तरह का संकेत मिलता है। इस दौरान अगर स्नीफर डॉग को अगर जमीन के नीचे कहीं शराब को छिपाकर रखे होने का पता चलता है तो वे उसको पंजे से खोदकर संकेत देते हैं।