बिहार की राजनीति में आज सोमवार का दिन काफी अहम रहने वाला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा है क्योंकि उन्हें विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना है। उन्होंने पलटी मार एनडीए के साथ मिलकर फिर बिहार में सरकार तो बना ली है, लेकिन अब फ्लोर टेस्ट में उसे मान्यता दिलवाने का समय आ गया है। बिहार में इस समय दोनों महागठबंधन और एनडीए में सियासी हलचल काफी तेज है। एक तरफ अगर नीतीश कुमार और बीजेपी आश्वस्त होने का दावा कर रहे हैं तो वहीं पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बड़े स्तर पर खेल करने की बात कर रहे हैं।

मांझी ही देंगे सबसे बड़ा झटका!

अभी तक ये साफ नहीं है कि तेजस्वी यादव की रणनीति क्या है, लेकिन जेडीयू खेमे से जैसी खबरें आ रही है, वो नीतीश कुमार की चिंता जरूर बढ़ा सकती हैं। इस समय की सबसे बड़ी खबर तो यही है कि जीतन राम मांझी का फोन नहीं उठ रहा है, उनकी तरफ से अपने फोन को स्विच ऑफ कर लिया गया है। यहां ये समझना जरूरी है कि बिहार में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायक है और इस समय जब बिहार में नीतीश कुमार को फिर बहुमत साबित करना है, मांझी की पार्टी का भी अहम रोल रहने वाला है। लेकिन अब क्योंकि उनका फोन बंद चल रहा है, ऐसे में तमाम तरह की अटकलें को बल मिल रहा है।

कहीं ये वाली कंजूरी ना पड़ जाए भारी

यह नहीं भूलना चाहिए कि मांझी की तरफ से मांग की गई थी कि उन्हें बिहार सरकार में दो मंत्री पद दिए जाएं, लेकिन नीतीश कुमार द्वारा सिर्फ उनके बेटे को ही मंत्री बनाया गया। इसके ऊपर जिस विभाग का ऑफर उनकी पार्टी को दिया जा रहा था, वे उससे भी ज्यादा खुश नहीं थे। ऐसे में नाराजगी थी और अब माना जा रहा है कि वही नाराजगी फ्लोर टेस्ट के दौरान कोई बड़ा सियासी खेल कर सकती है। वैसे इस सियासी खेल की सुगबुगाहट तो इसलिए भी तेज है क्योंकि जेडीयू के तीन और विधायकों के फोन बंद चल रहे हैं। रविवार को जब जदयू द्वारा एक अहम मीटिंग बुलाई गई थी, ये तीनों विधायक उस समय भी मिसिंग रहे, ऐसे में इनका संपर्क में ना होना भी तेजस्वी यादव के तमाम दावों को बल देता है, उन्हें मजबूत स्थिति में खड़ा करता है।

मिसिंग विधायक, बहुमत कहां से आएगा?

अभी जो जानकारी मिल रही है उसके हिसाब से बीजेपी के तीन और जदयू के भी तीन विधायक संपर्क में नहीं चल रहे हैं। ऐसे में 128 के जिस आंकड़े के साथ नीतीश आश्वस्त बैठे हुए हैं, उसमें से अगर इन मिसिंग विधायकों को घटा दिया जाए तो ये आंकड़ा 122 तक पहुंच जाता है। इसके ऊपर अगर मांझी की हम पार्टी भी झटका दे दे तो नीतीश सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ये समझना जरूरी है कि एक तरफ बिहार में फ्लोर टेस्ट का समय आ गया है तो वहीं दूसरी तरफ रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का अंत भी होने जा रहा है। इस समय जेडीयू के तमाम विधायक पटना के चाणक्य होटल में रुके हुए हैं, वहीं कांग्रेस के जिन विधायकों ने हैदराबाद में डेरा जमा रखा था, वे भी अब फ्लोर टेस्ट के समय बिहार लौट रहे हैं। वहीं राजद के विधायक तो तेजस्वी यादव के घर पर ही पिछले 24 घंटे से समय बिता रहे हैं, सभी की सिर्फ एक ही मंशा है- अपने विधायकों को एकजुट रखना और फ्लोर टेस्ट के समय बहुमत साबित करने में मदद मिलना।

बिहार का नंबर गेम

वैसे बिहार के नंबर गेम की बात करें तो आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके खाते में 79 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के पास 19 विधायकों का समर्थन है, वहीं वामदल के 16 सदस्य हैं। इस तरह से महागठबंधन का कुल आंकड़ा 114 बैठता है जो बहुमत से आठ सीटें कम है। दूसरी तरफ एनडीए की बात करें तो उसके पास अभी 128 वाला मजबूत बहुमत है। इस समय बीजेपी के पास 78 सीटे हैं, नीतीश की जेडीयू के पास 45 और मांझी की हम के पास चार विधायक मौजूद हैं। एक निर्दलीय विधायक को भी साध रखा है, ऐसे में कुल आंकड़ा 128 पहुंच रहा है।