देश में जातीय जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है। सरकार जहां इस मामले पर सिर्फ एससी-एसटी की संख्या जनगणना में काउंट करने कह चुकी है, वहीं राजद, जदयू, सपा, बसपा समेत कई दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं।
बीजेपी अभी तक इस मामले पर चुप ही दिख रही थी, लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व से अलग कुछ नेता इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं। पहले सदन के अंदर सांसद संघमित्रा मौर्य के बयानों से पार्टी असहज हो चुकी थी। अब बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मुद्दे पर सपोर्ट करते हुए ट्वीट किया है कि भाजपा कभी भी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही है।
सुशील मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने इस मुद्दे पर कई ट्वीट किए। सुशील मोदी ने कहा- “वर्ष 2011 में भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने जातीय जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था। उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पायी गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। भारी गड़बड़ियों के कारण उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। वह सेंसस या जनगणना का हिस्सा नहीं था।”
भाजपा सांसद ने कहा- “ब्रिटिश राज में 1931 की अंतिम बार जनगणना के समय बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक थे। उस समय के बिहार की लगभग 1 करोड़ की आबादी में मात्र 22 जातियों की ही जनगणना की गई थी। अब 90 साल बाद आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और राजनीतिक परिस्तिथियों में बड़ा फर्क आ चुका है। जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकी और व्यवहारिक कठिनाइयां हैं, फिर भी भाजपा सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।”
भाजपा कभी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही, इसीलिए हम इस मुद्दे पर विधान सभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले बिहार के प्रतिनिधिमण्डल में भी भाजपा शामिल है।— Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार ) (@SushilModi) August 22, 2021
सुशील मोदी के इस ट्वीट के बाद उन्हें सोशल मीडिया युजर्स ने ट्रोल करना शुरू कर दिया। @Nitishm09353421 ने लिखा – “भाजपा बिहार में अपनी विचारधारा को भूल रही है। जिस प्रकार एक बूंद जहर पुरे बरतन में रखे खीर को जहरीला बना देती है, ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच बिहार को जातिगत गढ्ढे मे धकेलना चाहती है। ताकि उनकी राजनीति आसान रहे। याद रहे भाजपा का नारा है “सबका साथ, सबका विकास”।
@onkar1962 ने रिप्लाई करते हुए कहा- “देशहित मे जातीयता का बढ़ावा देना उचित नहीं है। इसमें एकता की जगह विलगाव ही होता है। कब तक अलगाव कराकर सत्ता सुख भोगेंगे? एक देश, एक कानून और एक विधान क्यों नही लागू हो रहा है?
@JyotiKumarSin13 ने कहा- “आप इसलिए अभूत पूर्व उपमुख्यमंत्री हो गये हैं। जातिवादी मानसिकता से बाहर निकलें। साथ ही आर्थिक जनगणना से समाजिक भेदभाव हटेगा और देश का तरक्की होगा।
@kmishra1970 ने लिखा- “श्रीमान ,तो क्या उप मुख्यमंत्री साहिबा जो बयान दी थी , क्या वो बीजेपी में नहीं हैं।”
@DrAltafkhan007 ने ट्वीट करते हुए लिखा- “आप क्या करेंगे? जब आपकी पार्टी जातिगत जनगणना करने से मना कर दे?
बता दें कि जाति आधारित जनगणना को लेकर ही बिहार के कई नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आज पीएम मोदी से मिले हैं। बीजेपी की सहयोगी होने के बावजूद जदयू जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही है। इस मुद्दे पर राजद और जदयू दोनों साथ है और दोनों जाति अधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं।