बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा की बेटियों और बिहार में एनडीए के अन्य नेताओं के दामादों को सरकारी पद दिए जाने से लालू यादव की पार्टी RJD ने NDA पर निशाना साधा है। एनडीए सरकार पर भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने रविवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द एक मंडली अपने रिश्तेदारों के लिए अच्छे पदों पर कब्जा कर रही है, जबकि सीएम नियंत्रण में नहीं हैं।
संजय झा की बेटियों की हुई नियुक्ति
पिछले साल 9 अक्टूबर को जारी और अब सोशल मीडिया पर शेयर किए गए राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है, “राष्ट्रपति भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के मुकदमे चलाने के लिए ग्रुप ‘ए’ पैनल वकील के रूप में निम्नलिखित दो वकीलों को नियुक्त करने पर खुश हैं। ये नियुक्ति तीन साल की अवधि के लिए है।” नॉमिनेटेड वकील सत्या झा और आद्या झा थीं, जो संजय झा की बेटियां हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने कहा, “आम तौर पर, बार में कम से कम 10 साल के अभ्यास वाले वकीलों को ग्रुप ए वकील के रूप में अनुशंसित किया जाता है। हालांकि असाधारण परिस्थितियों में अपवाद किए जा सकते हैं।”
सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए मिलती है अच्छी फीस
कानूनी मामलों का विभाग (जो भारत संघ की ओर से मुकदमेबाजी को संभालता है) देश भर की अदालतों और न्यायाधिकरणों के लिए अधिवक्ताओं को आम तौर पर तीन साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक नियुक्त करता है। पैनल में शामिल करने के लिए कई श्रेणियां (अदालत के अनुसार) हैं। वहीं शामिल किए गए अधिवक्ताओं को सामूहिक रूप से ‘पैनल काउंसल’ कहा जाता है। वे नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, न ही पैनल में शामिल किया जाना कोई वेतनभोगी पद है। हालांकि पैनल में शामिल अधिवक्ताओं को मामलों में सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए अच्छी फीस मिलती है।
संजय झा (जो राज्यसभा सांसद भी हैं) इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका। उनकी दो बेटियों में बड़ी बेटी सत्या ने 2019 में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ ज्यूरिडिशियल साइंसेज (NUJS) से ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कानून में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वह लॉ फर्म अमरचंद मंगलदास में काम करती थी। आद्या झा ने भी NUJS से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, उसके बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कानून में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। संजय झा के एक करीबी सूत्र ने उनकी योग्यता का हवाला देते हुए कहा, “ऐसे करीब 500 से ज़्यादा वकील पैनल में हैं। दरअसल उनकी बेटियां इस पद के लिए ज़रूरत से ज़्यादा योग्य हैं।”
मृणाल पासवान कौन हैं?
दामादों में से एक मृणाल पासवान का नाम भी आ रहा, जो दिवंगत लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) नेता रामविलास पासवान की बेटी से विवाहित हैं। उन्हें हाल ही में बिहार अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। मृणाल ने कहा कि वह इस बारे में बात नहीं करना चाहते क्योंकि अब मैं एक ज़िम्मेदार पद पर हूँ।
चिराग पर भी उठे सवाल
LJP (रामविलास) जमुई के सांसद अरुण कुमार भारती, जो मृणाल की तरह राम विलास पासवान के दामाद भी हैं। उन्होंने कहा: “तेजस्वी, जो सिर्फ़ 9वीं कक्षा तक ही पढ़ पाए हैं, उन्हें भाई-भतीजावाद पर व्याख्यान देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। जब भी RJD सरकार बनाती है, तो यह पता लगाना मुश्किल होता है कि सत्ता में पार्टी है या परिवार।” LJP (RV) प्रमुख चिराग
मांझी भी घेरे में
बिहार अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष एक और मशहूर दामाद देवेंद्र कुमार मांझी हैं, जिनकी शादी केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता जीतन राम मांझी की बेटी से हुई है। अपनी नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर देवेंद्र मांझी ने कहा, मैं 25 साल से ज़्यादा समय से सार्वजनिक जीवन में हूं। कुछ लोग नहीं चाहते कि दूसरे आगे बढ़ें।”
सायन कुणाल, जो एलजेपी (आरवी) समस्तीपुर की सांसद और जेडीयू के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी सांभवी चौधरी से विवाहित हैं, वह अब बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के सदस्य हैं। सायन के पिता किशोर कुणाल हैं, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं। नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर सांभवी चौधरी ने कहा, “मैं जानना चाहती हूं कि सायन पहले किशोर कुणाल के बेटे हैं या पहले मेरे दामाद। उनका अपना अलग प्रभाव है।” सायन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैं गरीबों की सेवा करने और जमीनी स्तर पर काम करने की विरासत से आया हूं। मेरी प्रतिबद्धता हमेशा वंचितों का उत्थान करने और सार्वजनिक सेवा के मूल्यों को बनाए रखने की रही है। इसके विपरीत, तेजस्वी यादव भ्रष्टाचार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे बिहार के लोग भली-भाँति परिचित हैं।”
हम बिहार के सीएम को जमाई आयोग बनाने की सलाह देते हैं- तेजस्वी
रविवार को पटना में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा, “हम बिहार के सीएम को जमाई आयोग (दामाद आयोग) बनाने की सलाह देते हैं। यह कुछ और नहीं बल्कि घोर पक्षपात है।” आरजेडी नेता ने पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में सीएम के प्रधान सचिव दीपक कुमार का भी उदाहरण दिया, जिनकी पत्नी रश्मि रेखा वर्मा अब बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्य हैं।