Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग आज शाम मतदान और परिणाम की तारीखों की भी घोषणा कर देगा। चुनावी बादल मंडराने के साथ ही राजनीतिक विश्लेषक वोट बैंक और चुनावी समीकरण को लेकर विश्लेषण और अनुमान व्यक्त करने लगे हैं। बिहार चुनाव से जुड़े ज्यादातर विश्लेषण में यह दावा किया जाता है कि लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल का मुख्य जनाधार यादव समुदाय और मुस्लिम समुदाय से तैयार होता है। दूर से देखने पर सही लगता है क्योंकि जिस समुदाय का बहुसंख्यक (कम से 51 प्रतिशत) किसी एक दल को वोट देता है तो उसे उस पार्टी का आधार वोट मानना उचित भी है मगर कड़े चुनावी मुकाबले में किसी समुदाय का अल्पमत भी सत्ता का रुख बदलने में सक्षम होता है। इस लेख में हम देखेंगे कि किस तरह सत्ताधारी एनडीए के बीजेपी और जेडीयू के यादव नेता करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं वो कौन-कौन से नेता है।
1- नंद किशोर यादव
नंद किशोर यादव की गिनती भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में होती है। वह पटना साहिब विधानसभा सीट से लगातार 1995 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। नंद किशोर यादव फिलहाल बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी हैं।
2- राम कृपाल यादव
राम कृपाल यादव कभी लालू प्रसाद यादव के बहुत करीबी माने जाते थे और उन्होंने लंबे समय तक आरजेडी में राजनीति की। लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के समय उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली। वह लगातार दो बार पाटिलीपुत्र लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। लेकिन साल 2024 में वह लालू प्रसाद यादव की बेटी से चुनाव हार गए। राम कृपाल की छवि एक सुलझे हुए और जमीनी नेता की है। उनकी संगठनात्मक पकड़ भी काफी मजबूत है।
3- नित्यानंद राय
भारतीय जनता पार्टी के बड़े यादव चेहरे के रूप में उभरे नित्यानंद राय इस समय मोदी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। वह एक समय में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। नित्यानंद राय की यादव समुदाय में पार्टी की पकड़ मजबूत करने और बीजेपी से जोड़ने में उनकी भूमिका अहम रही है। नित्यानंद राय, बीजेपी के अंदर ओबीसी समीकरणों को साधने वाले बड़े नेताओं में शुमार हैं।
4- अशोक यादव
दिग्गज बीजेपी के नेता हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव मधुबनी लोकसभा सीट से सांसद हैं। उनका यादव मतदाताओं पर अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। यही कारण है कि अच्छी संख्या में यादव मतदाता भारतीय जनता पार्टी को वोट करते हैं।
5- मनोज यादव
पिछली बार के विधानसभा चुनाव में मनोज यादव ने आरजेडी के चार बार के विधायक रामदेव यादव को करारी शिकस्त दी थी। मनोज यादव को 61 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं, आरजेडी के रामदेव यादव को 59 हजार से कम वोट हासिल हुए थे। बेलहर विधानसभा सीट पर यादव समुदाय का वर्चस्व इतना प्रभावी है कि बीते दो दशकों में यहां से ज्यादातर बार यादव प्रत्याशी ही जीतते आए हैं।
6- अनिरुद्ध प्रसाद यादव
अनिरुद्ध प्रसाद यादव जेडीयू के टिकट पर निर्मली विधानसभा सीट से लगातार तीन बार के विधायक हैं। इस सीट पर यादव और मुस्लिम वोटरों का दबदबा रहता है। इनकी संख्या यहां 30 फीसदी के आसपास है। इसके बाद ब्राह्मण वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं।
7- बिजेंद्र प्रसाद यादव
बिहार की राजनीति में मधेपुरा को हमेशा से यादवों का सबसे मजबूत किला माना गया है। चुनावी नतीजे बताते हैं कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने यहां पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। जेडीयू के नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव पिछले तीन दशकों (2010, 2015, 2020) से सुपौल विधानसभा सीट पर जीतते आ रहे हैं, जो यह दिखाता है कि इस क्षेत्र में जेडीयू ने अपनी गहरी पैठ बना ली है।
बिहार विधान सभा की 243 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव होगा। मतदान छह नवंबर और 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी और उसी दिन चुनाव परिणाम आ जाएंगे।
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